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ऑटो डेस्क. हीरो मोटोकॉर्प ने सुपर स्प्लेंडर को BS6 इंजन के साथ लॉन्च कर दिया है। इसे दो वैरिएंट में लॉन्च किया गया है। सेल्फ ड्रम अलॉय व्हील की कीमत 67,300 रुपए और सेल्फ डिस्क अलॉय व्हील की कीमत 70,800 रुपए है। बाइक में इंजन के साथ कुछ चेंजेस किए गए हैं। जो इसे पहले से ज्यादा बेहतर बनाते हैं।
इसमें 125cc PFI (प्रोग्राम्ड फ्यूल इंजेक्शन) इंजन दिया है। जो 10.73bhp का पावर और 10.6Nm का टॉर्क जनरेट करता है। कंपनी का कहना है कि ये पुराने मॉडल की तुलना में 19 फीसदी तक ज्यादा पावरफुल है। इंजन में i3S टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया गया है। ये जरूरत नहीं होने की स्थिति में इंजन को बंद कर देती है। फिर जैसे ही क्लच दबाया जाता है इंजन स्टार्ट हो जाता है। इसमें 5 स्पीड गियरबॉक्स मिलेगा, जो पुराने मॉडल में 4 स्पीड गियरबॉक्स था।
बाइक में 240mm का फ्रंट डिस्क ब्रेक और 130mm का रियर ड्रम ब्रेक CBS (कंबाइंड ब्रेकिंग सिस्टम) दिया है। ये डुअल पेंट स्कीम के साथ आ रही है। पुराने मॉडल की तुलना में इसका ग्राउंड क्लियरेंस 30mm ज्यादा है। वहीं, सीट का साइज भी 45mm ज्यादा बड़ा है।
संचित टंडन, नई दिल्ली. नए जमाने की इलेक्ट्रिक कारों को शून्य से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में अब इतना कम वक्त लगता है कि सवाल उठ रहे हैं कि क्या इंसान इन्हें हैंडल कर पाएगा?
जगुआर आई-पेस
जगुआर अब 'आई-पेस' के रूप में अलग स्तर पर पहुंच गई है। यह महज चार सेकंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार छू लेती है। जगुआर की क्लासिक तो इसमें हैं ही। इसे देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि क्यों इस तरह की एसयूवी की दीवानगी बनी रहेगी।
ऑडी ई-ट्रॉन
एसयूवी के मामले में ऑडी की धाक 'क्यू 5' और 'क्यू 7' ने लंबे समय से कायम की, अब बारी ई-ट्रॉन की है। ई-ट्रॉन को 100 की रफ्तार छूने में 5.7 सेकंड का समय लगता है। ये गाड़ी लग्जरी के मामले में भी कम नहीं है।
पोर्श टैकन टर्बो एस
'911 करेरा' की तरह ही परफेक्ट कुछ करने के लिए पोर्श ने इलेक्ट्रिक कार कंपनियों को ही पहले तय करने दिया कि क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं। नतीजा टर्बो एस के रूप में सामने है जो सिर्फ 2.6 सेकंड में 100 किलोमीटर की रफ्तार छू लेती है।
एस्पार्क आउल
कारों के मामले में इससे तेज धरती पर कुछ नहीं। 1985 एचपी की ताकत जब इसके पहियों को मिलती है तो यह 1.69 सेकंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पर होती है। रेडियो पर चैनल बदलने में जितनी देर लगाते हैं उससे कम वक्त में यह रफ्तार पकड़ती है। इसकी खूबसूरत बॉडी लाइन भी इस रफ्तार को पाने में मदद करती है।
पिनिनफरीना बतीस्ता
इटैलियन कंपनी की यह कार सुंदरता के साथ तेजी का परफेक्ट उदाहरण है। बतौर डिजाइन हाउस 'पिनिनफरीना' ने कई खूबसूरत कारें बनाई है, लेकिन यह ऑल-इलेक्ट्रिक हाइपर कार अलग है जो 1.8 सेकंड में 100 किलोमीटर की रफ्तार पा लेती है।
टेस्ला रोडस्टर
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में टेस्ला से बड़ा कोई और नाम नहीं। दिखने में बेहद खूबसूरत 'रोडस्टर' रफ्तार पकड़ने में कम नहीं है। इसे शून्य से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को छूने में केवल 1.9 सेकंड लगते हैं।
रवि शर्मा, पुणे. 2020 की शुरुआती हलचल बता रही है कि इस दशक में भी स्मार्टफोन का तेजी से बदलना जारी रहेगा। नए लॉन्च इशारा कर रहे हैं कि मौजूदा फ्लैगशिप फोन्स की जरूरी समझी जाने वाली चीजें, इस नए दशक की शुरुआत में ही विदा हो जाएंगी। जाहिर है ये बदलाव सहूलियत बढ़ाने वाले होंगे...
फिक्स्ड स्क्रीन का आखिरी दौर
स्क्रीन के पीछे कैमरा, फिंगर प्रिंट सेंसर जैसे फीचर छिपाने का दौर आ चुका है और ये बढ़ता जाएगा। नए जमाने के फोन में फोल्डेबल डिस्प्ले का रोल बढ़ना तय है। लोगों को ऐसे फोन चाहिए जो जेब में आसानी से आ जाएं और फीचर में कोई कमी न हो जो जाहिर तौर पर बड़ी स्क्रीन पर मिलेंगे। दो कंपनियों ने फोल्डेबल डिस्प्ले की दुनिया में एंट्री ली है लेकिन कई और कतार में हैं।
पोर्ट का जाना भी तय
एपल तो 'आईफोन 7' में पोर्ट गायब कर चुका था लेकिन हैडफोन जैक गायब करने का फैसला मील का पत्थर साबित नहीं हुआ। वजह थी इस काम में कंपनियों ने तेजी नहीं दिखाई और पोर्ट कायम रखे। अब टेक्नोलॉजी और आगे बढ़ी है, एपल एअरपॉड्स और दूसरे ब्लूटुथ हैडफोन्स ने हैडफोन जैक्स की अहमियत कम की है। वायरलैस चार्जिंग का बढ़ना भी तय है। सैमसंग के बाद एपल का वायरलेस चार्जिंग में काम करना बता रहा है कि इस फीचर का पोर्ट हटाने के लिए स्मार्टफोन में रखना जरूरी है। जल्द ही अाप फोन को बिना चार्जिंग पोर्ट के देखेंगे। पोर्ट हटने से वॉटरप्रूफिंग बेहतर होगी।
बटन होंगे विदा
फेस अनलॉक स्मार्टफोन को उस दिशा में ले आए हैं जब उन्हें बटन्स की जरूरत नहीं है। एचटीसी अपने एक फोन से सभी बटन्स गायब करने का प्रयोग कर चुका है। 'अल्ट्रासेंस सिस्टम्स' का ही उदाहरण लें तो ये एक नया टच यूजर इंटरफेस बना रहे हैं जो अल्ट्रासाउंड पर आधारित होगा। फोन पर किसी भी जगह टैप करने और स्लाइड करने की आजादी से, पारंपरिक बटन्स अब जल्द ही बीते जमाने की चीज बन जाएंगे। इससे डिजाइनर्स को कर्व्ड एजेस और वॉटरफॉल स्क्रीन्स देना आसान होगा। स्क्रीन स्पेस भी काफी बढ़ जाएगी।