गूगल अपने यूजर्स का कलेक्ट किया गया डेटा ऑटोमैटिकली डिलीट करने के लिए डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स बदल रहा है। यूजर्स की वेब और ऐप एक्टिविटी समेत वेबसाइट सर्च, पेज विजिटेड और लोकेशन डेटा अब अपने आप 18 महीने बाद गूगल सर्वर से डिलीट होगी। जबकि यूट्यूब हिस्ट्री जैसे कि कौन सी क्लिप देखी गई और कितनी देर तक देखी गई जैसी जानकारियां 36 महीने बाद डिलीटहो जाएंगी।
फिलहाल यह बदलाव केवल नए अकाउंट के लिए लागू होता है, लेकिन मौजूदा यूजर्स को जल्द ही अपनी सेटिंग्स में बदलाव करने के लिए सुविधा मुहैया कराई जा सकती है। हालांकि कंपनी ने यह घोषणा तब कि जब अन्य टेक्नोलॉजी कंपनियां डेटा कलेक्ट के प्रयासों और बिजनेस प्रैक्टिस को लेकर कई बड़ी जांचों का सामना कर रही है।
सर्चिंग की निगरानी कोलेकर विवादों में है गूगल
- वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट को इस सप्ताह के अंत में राज्य के वकीलों के साथ गूगल के एंटी-कॉम्पीटिटिव बिहेवियर के लिए उसे सजा देने के लिए चर्चा करनी है, गूगल पर आरोप है कि इसने ऑनलाइन सर्च में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया है।
- मंगलवार को एक जर्मन अदालत ने फेसबुक पर स्थानीय उपयोगकर्ताओं के बारे में डेटा कलेक्शन करने पर रोक लगाई, चिंता जताई जा रही है कि कंपनी सोशल नेटवर्किंग के बीच अपनी अच्छी पोजीशन का दुरुपयोग कर रही है।
2019 में ऑटो-डिलीट कंट्रोल की शुरुआत
- गूगल ने मई 2019 में ऑटो-डिलीट कंट्रोल की शुरुआत की ताकि उपयोगकर्ताओं को कंपनी द्वारा उनके बारे में इकट्ठा किए गए लॉग के नियमित काट-छांट के लिए मजबूर किया जा सके, लेकिन उस समय यह एक ऑप्ट-इन ऑप्शन बनाया गया। अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी इकट्ठा की गई इन जानकारियों को व्यक्तिगत सिफारिशों और सर्च रिजल्ट के साथ-साथ विज्ञापनों को लक्षित करने के लिए इस्तेमाल करती हैं।
यूट्यूब रिकॉर्ड को लंबे समय तक रखेगा
- गूगल के प्रोडक्ट मैनेजर डेविड मोनसे ने कहा- हम जानते हैं कि जानकारी हमारे प्रोडक्ट को मददगार बनाती है, लेकिन डेटा मिनिमाइजेशन हमारे महत्वपूर्ण प्राइवेसी प्रिंसिपल में से एक है और गूगल अब अनिश्चित काल तक गतिविधि नहीं रखेगा।
- गूगल ने कहा कि वह अन्य इंटरनेट एक्टिविटी की तुलना में यूट्यूब रिकॉर्ड को अधिक समय तक रखना चाहता है, क्योंकि इससे संगीत की सिफारिशें करने जैसे काम करने में मदद मिलेगी, जिसके लिए एक लंबी सर्च हिस्ट्री जरूरी है।
- उन्होंने आगे बताया कि ऑटो-वाइप नीति फ़ोटो, जीमेल और इसकी ड्राइव क्लाउड-स्टोरेज सुविधा से जुड़े लॉग पर लागू नहीं होगी, क्योंकि यह विज्ञापन संबंधित के कामों के लिए इस्तेमाल में नहीं लिए जाते।
- कंपनी ने अपने फैसले को सही ठहराया है कि मौजूदा अकाउंट में बदलाव को इस आधार पर लागू नहीं किया जाए कि वह बिना किसी अनुमति के "क्यूरेट" डेटा मिटाकर लोगों को नहीं खोना चाहता है और यह भी बताया कि सभी उपयोगकर्ता ऑटो-वाइप अवधि को तीन महीने के लिए ही निर्धारित कर सकते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह है कि यह बदलाव कम लोगों को प्रभावित करेगा जितना कि यह हो सकता है।
लॉन्ग टाइम यूजर्स को भी बताए जाएंगे गाइडेड टिप्स
- लॉन्ग टाइम यूजर्स अन्य तरीकों से प्रभावित होंगे, हालांकि उन्हें नए 'गाइडेड टिप्स' भी दिखाए जाएंगे। उदाहरण के लिए यदि कोई यह जानने के लिए गूगल सर्च का उपयोग करते हैं कि क्या उनका अकाउंट सुरक्षित है, तो एक बॉक्स उनकी सेटिंग्स दिखाएगा और उन्हें इसे एडजस्ट करने का तरीका भी बताएगा।
- उदाहरण के तौर पर यदि कोई उपयोगकर्ता अपने हैंडसेट की लोकेशन को किसी मित्र के साथ साझा करता है, तो उन्हें बाद में याद दिलाया जाएगा कि परमिशन अभी भी एक्टिव है और पूछा गया कि क्या वे इसे बंद करना चाहते हैं।
हम इनकॉग्निटो मोड को आसान बनाया-गूगल
- गूगल ने कहा कि उसने अपने ऐप्स में इनकॉग्निटो मोड को "एक्सेस करना आसान" बना दिया है (यह सेटिंग जो डेटा कलेक्ट नहीं करता) उपयोगकर्ताओं को अपनी जानकारी छुपाकर सर्चिंग सुविधा जारी रखने की सुविधा देती है।
कई लोग गूगल के पास रखी जानकारी से सहज है
- ओपन राइट्स ग्रुप के कार्यकारी निदेशक जिम किलॉक ने कहा, बहुत से लोग गूगल द्वारा रखी गई जानकारी से असहज हैं। इन संकेतो का मतलब हो सकता है कि लोग कई चीजों को अनदेखा कर सकें। गूगल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर किसी ने इस बारे में एक स्पष्ट संकेत दिया है कि क्या वे चाहते हैं कि उनकी हिस्ट्री कलेक्ट हो बजाय इसके कि उनकी जानकारियां मिटा दी जाए जिसे वे आधे पढ़ चुके हैं।
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