Friday 5 June 2020

वित्त वर्ष 2021 में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को हो सकता है 75,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान, मुनाफा 40% घटने की आशंका

चालू वित्त वर्ष (2020-21) में ऑटो सेक्टर को राजस्व और मुनाफे के मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है। ईटीआईजी के एक अनुमान के मुताबिक, इस साल ऑटो इंडस्ट्री के राजस्व में औसतन 20 फीसदी की कमी आ सकती है। इससे इंडस्ट्री को करीब 75 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। वहीं, ऑपरेटिंग प्रॉफिट 40 फीसदी या 15 हजार करोड़ रुपए घट सकता है।

फैक्ट्रियों के कम उपयोग के कारण होगा नुकसान

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लॉकडाउन से धीरे-धीरे बाहर आ रहा है। इस कारण ऑटो कंपनियां अपनी फैक्ट्रियों का पूरी क्षमता के साथ संचालन नहीं कर पा रही हैं। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस साल फैक्ट्रियां अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी। इस कारण ऑटो कंपनियों का मार्जिन 2 से 5 फीसदी तक घट सकता है। फैक्ट्रियों के कम उपयोग के कारण कंपनियों को यह नुकसान झेलना होगा।

वित्त वर्ष 2020 में 3.7 लाख करोड़ के आसपास रहा राजस्व

वॉल्यूम और औसत बिक्री प्राइस के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2002 में ऑटो कंपनियों का कुल राजस्व 3.5 से 3.7 लाख करोड़ रुपए के करीब रहा है। वहीं ऑपरेटिंग प्रॉफिट 38 हजार करोड़ से लेकर 42 हजार करोड़ रुपए के मध्य रहा है।

पिछले वर्षों में कंपनियों ने बढ़ाई अपनी क्षमता

पिछले कुछ वर्षों में सुजुकी मोटर गुजरात, पीएसए और किआ जैसी पैसेंजर व्हीकल कंपनियों ने अपनी उत्पादन क्षमता में 1.2 मिलियन यूनिट्स की बढ़ोतरी की है। वहीं देश की पांच टॉप मोटरबाइक निर्माता कंपनियों ने 3 लाख नए दोपहिया वाहन की क्षमता बढ़ाई है।

इस साल 2010 के स्तर तक गिर सकता है ऑटो बाजार

रिपोर्ट में कहा गया है ऑटो बाजार पहले ही एक निश्चित स्तर तक गिर चुका है। वित्त वर्ष 2020 के अंत में यह गिरकर वित्त वर्ष 2016 के स्तर पर पहुंच गया था। वित्त वर्ष 2020 के अंत तक यह गिरकर वित्त वर्ष 2010 के स्तर तक जा सकता है।

पैसेंजर कार कंपनियों की कैपेसिटी यूटिलाइजेशन 45% घटने की आशंका

क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में पैसेंजर कार कंपनियों की कैपेसिटी यूटिलाइजेशन 45 फीसदी तक घट सकती है। इसी प्रकार से कमर्शियल व्हीकल कंपनियों की कैपेसिटी यूटिलाइजेशन 39 फीसदी और दोपहिया निर्माता कंपनियों की 50 फीसदी घटने की आशंका जताई गई है। हालांकि, ओवलरऑल यूटिलाइजेशन ब्रेक लेवल से कुछ पॉइंट ज्यादा है। ऐसे में कोरोना से पहला मामूली मार्जिन वाली कंपनियों को कोरोना के बाद ऑपरेटिंग नुकसान हो सकता है।

नकारात्मक हो सकता है कमर्शियल व्हीकल इंडस्ट्री का मार्जिन

क्रिसिल रिसर्च की डायरेक्टर हेतल गांधी का कहना है कि दोपहिया और कारों के मुकाबले कमर्शियल व्हीकल का ऑपरेटिंग मार्जिन कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि कैपेसिटी यूटिलाइजेशन में 39 फीसदी की कमी के कारण वित्त वर्ष 2020 में कमर्शियल व्हीकल इंस्ट्री का मार्जिन 500 बेसिस पॉइंट तक गिरकर पिछले साल के 3.1 फीसगी के मुकाबले -2.9 फीसदी पर पहुंच सकता है। वित्त वर्ष 2021 में इस सेगमेंट में नुकसान दर्ज किया जाएगा।

2020 में गिरा कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन

वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में कमर्शियल व्हीकल निर्माता कंपनी अशोक लीलैंड का ऑपरेटिंग मार्जिन 470 बेसिस पॉइंट गिरकर 5.6 फीसदी रहा है। वहीं वॉल्यूम में 28 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। टाटा मोटर्स का कमर्शियल व्हीकल ऑपरेटिंग प्रॉफिट 2.2 फीसदी गिरा है। वॉल्यूम में 24 फीसदी की गिरावट के कारण ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 940 बेसिस पॉइंट की कमी दर्ज की गई है।

नए एमिशन नॉर्म्स से भी घटेगा मार्जिन

हेतल गांधी का कहना है कि नए एमिशन नॉर्म्स से भी ऑटो कंपनियों का मार्जिन घटेगा। गांधी के मुताबिक, इसका सबसे ज्यादा असर दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों पर पड़ेगा। नए नॉर्म्स की वजह से एंट्री लेवल बाइक्स की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। इन बाइक्स की कीमत काफी सेंसेटिव होती है। इसका असर यह होगा कि कंपनियों के मार्जिन में अतिरिक्त 100 बेसिस पॉइंट की कमी होगी।

सरकार से मदद की गुहार

लंबे समय से मंदी की मार झेल रहा ऑटो सेक्टर सरकार से लगातार मदद की गुहार लगा रहा है। हाल ही में टोयोटा किर्लोस्कर के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर ने सरकार से मदद करने की गुहार लगाई। विक्रम ने कहा कि मेरे लिए यह कल्पना करना कठिन है कि इस समय कोई नई कार या बाइक खरीदना चाहता होगा। उन्होंने कहा कि मैं अत्यंत आशावादी हूं। लेकिन इस समय मैं थोड़ा असहज महसूस कर रहा हूं। हालांकि, जीएसटी में कटौती और स्कैपेज पॉलिसी जैसे प्रोत्साहन का स्वागत रहेगा।



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Automobile industry may post an aggregate drop of Rupees 75,000 crore in revenue this fiscal year


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