Thursday 31 October 2019

नए अवतार में वापसी करेगी मोटो 360 स्मार्टवॉच, मिलेंगे तीन कलर ऑप्शन, 25 हजार रु. होगी कीमत

गैजेट डेस्क. मोटोरोला की पॉपुलर स्मार्टवॉच मोटो 360 एक बार फिर ग्लोबल मार्केट में वापसी करने की तैयारी में है। रिपोर्ट के मुताबिक इसकी मैन्युफैक्चरिंग ईबायनाउ (eBuyNow)कंपनी द्वारा की जा रही है। नई मोटो 360 में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। नई मोटो 360 में फुली सर्क्युलर डिस्प्ले दिया गया है जो पहले से थोड़ा अलग होगा। 2014 में लॉन्च हुई फर्स्ट जनरेशन मोटो 360 उस समय की पॉपुलर स्मार्टवॉच थी। यह राउंड केस में आने वाली पहली एंड्रॉयड वियर वॉच थी। 2015 में इसका सेकंड जनरेशन मॉडल आया था।

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    • नई मोटो 360 को ईबायनाउ कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है। थर्ड जनरेशन मोटो 360 की कीमत 25 हजार रुपए तक होगी।
    • इसकी प्री-बुकिंग नवंबर से शुरू होगी, इसे मोटो 360 डॉट कॉम से बुक किया जा सकेगा।
    • रिपोर्ट के मुताबिक इसकी बिक्री दिसंबर तक शुरू हो सकती है। इसे फैंटम ब्लैक, रोज गोल्ड और स्टील ग्रे कलर में बेचा जाएगा।
    • स्मार्टवॉच गूगल के वियर ओएस पर रन करेगी। इसमें 360x360 पिक्सल रेजोल्यूशन वाला 1.2 इंच का फुली सर्क्युलर ओएलईडी डिस्प्ले मिलेगा।
    • क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 3100 प्रोसेसर से लैस इस वॉच में 1 जीबी रैम और 8 जीबी का स्टोरेज भी मिलेगा।
    • यह डिवाइस हार्ट रेट मॉनिटर, जीपीएस, मोबाइल पेमेंट के लिए एनएफसी और गूगल पे सपोर्ट जैसे फीचर्स से लैस होगी।
    • इसमें 355 एमएएच बैटरी होगी। कंपनी का कहना है कि यह 24 घंटे का बैकअप देगी। हालांकि बैटरी सेविंग मोड में यह तीन दिन तक चलेगी।
    • बैटरी को 0-100% तक चार्ज होने में 4 घंटे का समय लगेगा। 52 ग्राम वजनी इस वॉच में कस्टमाइजेबल एक्शन बटन भी मिलेगा।


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      Moto 360 smartwatch will return in new look design, will get three color options, Will cost 25 thousand rupees
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अमेजन, एपल और अलीबाबा टेक इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा उथल-पुथल मचाने वाली कंपनियां; गूगल, नेटफ्लिक्स भी टॉप-10 में

गैजेट डेस्क. अमेजन, एपल और अलीबाबा दुनियाभर की टेक इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा उथल-पुथल मचाने वाली (डिसरप्टिंग) कंपनियां हैं। यह जानकारी केपीएमजी की रिपोर्ट से सामने आई है। केपीएमजी ने टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के 740 बिजनेस लीडर्स से बातचीत कर यह रिपोर्ट जारी की है। डीजेआई, गूगल, नेटफ्लिक्स, एयरबीएनबी, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक और बायडू भी टॉप-10 में जगह बनाने में सफल रही है। ज्यादातर टेक इंडस्ट्री लीडर्स ने सर्वे में कहा है कि पिछले तीन साल में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सबसे ज्यादा उथल-पुथल मचाने वाले रहे हैं। इसके बाद सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों का नंबर आता है। केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक टेक इंडस्ट्री से जुड़े युवाओं और इसके लीडर्स के बीच उभरते हुए ग्लोबल टेक्नोलॉजी इनोवेशन और विजनरी के मुद्दे पर राय अलग-अलग है।

टॉप-10 में शामिल कंपनियों में अमेजन और अलीबाबा मूलतः ई-कॉमर्स कंपनियां हैं। हालांकि, ये अब अपने टेक प्रोडक्ट्स भी उतार चुकी हैं। अमेजन अभी स्मार्ट स्पीकर सिस्टम मार्केट में सबसे बड़ी कंपनी है। वहीं, अलीबाबा भी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सहित कई अन्य बिजनेस में उतर चुकी है। एपल गैजेट कंपनी है। आईफोन, आईपैड और मैकबुक इसके मुख्य प्रोडक्ट हैं। साथ ही कंपनी स्मार्ट वॉच भी बनाती है। एपल अब वीडियो स्ट्रीमिंग और ऑनलाइन गेमिंग के बिजनेस में भी उतर चुकी है।

डीजेआई गिम्बल, ड्रोन, एक्शन कैमरा आदि बनाती है। गूगल इंटरनेट कंपनी है। सर्च इंजन के साथ शुरुआत करने वाली गूगल अल्फाबेट नाम की पैरेंट कंपनी के तहत आती है। पिक्सल सीरीज के स्मार्टफोन के अलावा यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड की निर्माता भी है। नेटफ्लिक्स वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनी है।

एयरबीएनबी हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में काम करती है। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनी है। यह भी कई अन्य बिजनेस में उतर चुकी है। फेसबुक दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी हैं। वहीं, बायडू चीन की इंटरनेट कंपनी है।


सुंदर पिचाई सबसे इनोवेटिव और विजनरी सीईओ
टेक बिजनेस से लीडर्स के मुताबिक इनोवेशन और विजनरी होने के मामले में गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई पहले स्थान पर हैं। इसके बाद टेस्ला और स्पेस एक्स के सीईओ एलन मस्क का नंबर आता है। वहीं मिलेनियल्स की राय में इनके अलावा हुवावे के सीईओ रेन झेंगफेई, श्याओमी के सीईओ लेई जुन और सॉफ्ट बैंक के सीईओ मासायोशी सोन भी विजनरी हैं।



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Amazon, Apple and Alibaba are the most turbulent companies in the tech industry; Google, Netflix also in top-10


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12 लाख भारतीयों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड का डेटा चोरी, हैकर ऑनलाइन बेच रहे

नई दिल्ली .देश के 12 लाख से ज्यादा डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी लीक हो गई है। इसके डेटा ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि यह इस साल की सबसे बड़ी हैकिंग है। डेटा की शुरुआती जांच में पता चला है कि इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण ट्रैक-2 डेटा भी चोरी हुआ है, जो कार्ड के पीछे मैग्नेटिक स्ट्रिप में होता है। इसमें ग्राहक की प्रोफाइल और लेनदेन की सारी जानकारी होती है।

ट्रैक-1 डेटा में सिर्फ कार्ड नंबर ही होते हैं, जो सामान्य है। सिंगापुर की साइबर डेटा एनालिसिस करने वाली नामी संस्था ग्रुप आईबी के अनुसार हैकर्स की वेबसाइट जोकर स्टैश पर 13 लाख बैंक कार्ड की बिक्री हो रही है। इसमें 98% भारतीयों के हैं, 18% तो एक ही बैंक के हैं। इस बैंक के नाम का खुलासा नहीं हुआ है। हर कार्ड का डेटा 100 डॉलर (करीब 7 हजार रु.) में बेची जा रहा है। अंदेशा है कि हैकिंग के अलावा डेटा एटीएम या पीओएस में स्किमर से भी चुराए गए हैं।

नुकसान की भरपाई बैंकों की ही जिम्मेदारी:पवन दुग्गल, सायबर विशेषज्ञ

बैंकों को बड़े लेनदेन तफ्तीश के बाद क्लीयर करने चाहिए :बैंकों को कार्ड से हुए बड़े लेनदेन तफ्तीश और ग्राहक से बात करने के बाद क्लीयर करने चाहिए। आरबीआई के नियमों के मुताबिक,यदि कार्ड दुरुपयोग में उपभोक्ता की गलती नहीं है, तो भरपाई बैंक को करनी होगी।

ग्राहक लेनदेन करने वाले कार्ड में सीमित पैसा ही रखें :असुरक्षित वेबसाइटों पर लेनदेन से बचेंं। जिस कार्ड से लेनदेन करते हैं, उस खाते में सीमित पैसा रखें। संदिग्ध निकासी दिखे तो तुरंत पुलिस व बैंक को लिखित सूचना दें। इससे नुकसान की जिम्मेदारी बैंक की ही होगी।

सरकार को पेमेंट नेटवर्क सुरक्षित बनाने चाहिए :भारत के पेमेंट नेटवर्क असुरक्षित हैं। इसे दुरुस्त करें। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (2013) कागजी घोड़ा भर है। कड़े साइबर सुरक्षा कानून की जरूरत है। साइबर सुरक्षा के कल्चर को अपनाने में हम विफल रहे हैं।

जोकर्स स्टैश के पीछे फिन-7 संगठन, जो अबतक डेटा बेचकर 7 हजार करोड़ रु. कमा चुका है पर ये हैं कौन, किसी को पता नहीं :जोकर्स स्टैश एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां अपराधी पेमेंट कार्ड डिटेल्स की खरीद-फरोख्त करते हैं। कार्ड की क्लोनिंग करके पैसे चुराए जाते हैं। ये दुनियाभर के 1 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों के कार्ड हैक कर चुके हैं। ये ग्रुप ट्रम्प प्रशासन के अफसरों के सोशल सिक्योरिटी नंबर तक बेच चुका है।

रूसी हैकर्स होने की आशंका :जोकर्स स्टैश के पीछे फिन-7 डेटा हैकिंग संगठन है। ये कंपनियों के डेटा नेटवर्क को हैक करके डिटेल चुराते हैं। ये लोग डेटा से 7 हजार करोड़ रु. कमा चुके हैं। इसे चलाने वाले लोग कौन हैं, इसका पता नहीं लग सका है। अनुमान है कि ये रूस के हैकर्स हैं।



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Credit-debit card data of 1.2 million Indians stolen


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Nationals Win Their First World Series With One Last Rally


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John Bolton Is Summoned to Testify in Trump Impeachment Inquiry


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Russia Tests New Disinformation Tactics in Africa to Expand Influence


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It’s the End of California as We Know It


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