Thursday 31 October 2019

12 लाख भारतीयों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड का डेटा चोरी, हैकर ऑनलाइन बेच रहे

नई दिल्ली .देश के 12 लाख से ज्यादा डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी लीक हो गई है। इसके डेटा ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि यह इस साल की सबसे बड़ी हैकिंग है। डेटा की शुरुआती जांच में पता चला है कि इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण ट्रैक-2 डेटा भी चोरी हुआ है, जो कार्ड के पीछे मैग्नेटिक स्ट्रिप में होता है। इसमें ग्राहक की प्रोफाइल और लेनदेन की सारी जानकारी होती है।

ट्रैक-1 डेटा में सिर्फ कार्ड नंबर ही होते हैं, जो सामान्य है। सिंगापुर की साइबर डेटा एनालिसिस करने वाली नामी संस्था ग्रुप आईबी के अनुसार हैकर्स की वेबसाइट जोकर स्टैश पर 13 लाख बैंक कार्ड की बिक्री हो रही है। इसमें 98% भारतीयों के हैं, 18% तो एक ही बैंक के हैं। इस बैंक के नाम का खुलासा नहीं हुआ है। हर कार्ड का डेटा 100 डॉलर (करीब 7 हजार रु.) में बेची जा रहा है। अंदेशा है कि हैकिंग के अलावा डेटा एटीएम या पीओएस में स्किमर से भी चुराए गए हैं।

नुकसान की भरपाई बैंकों की ही जिम्मेदारी:पवन दुग्गल, सायबर विशेषज्ञ

बैंकों को बड़े लेनदेन तफ्तीश के बाद क्लीयर करने चाहिए :बैंकों को कार्ड से हुए बड़े लेनदेन तफ्तीश और ग्राहक से बात करने के बाद क्लीयर करने चाहिए। आरबीआई के नियमों के मुताबिक,यदि कार्ड दुरुपयोग में उपभोक्ता की गलती नहीं है, तो भरपाई बैंक को करनी होगी।

ग्राहक लेनदेन करने वाले कार्ड में सीमित पैसा ही रखें :असुरक्षित वेबसाइटों पर लेनदेन से बचेंं। जिस कार्ड से लेनदेन करते हैं, उस खाते में सीमित पैसा रखें। संदिग्ध निकासी दिखे तो तुरंत पुलिस व बैंक को लिखित सूचना दें। इससे नुकसान की जिम्मेदारी बैंक की ही होगी।

सरकार को पेमेंट नेटवर्क सुरक्षित बनाने चाहिए :भारत के पेमेंट नेटवर्क असुरक्षित हैं। इसे दुरुस्त करें। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (2013) कागजी घोड़ा भर है। कड़े साइबर सुरक्षा कानून की जरूरत है। साइबर सुरक्षा के कल्चर को अपनाने में हम विफल रहे हैं।

जोकर्स स्टैश के पीछे फिन-7 संगठन, जो अबतक डेटा बेचकर 7 हजार करोड़ रु. कमा चुका है पर ये हैं कौन, किसी को पता नहीं :जोकर्स स्टैश एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां अपराधी पेमेंट कार्ड डिटेल्स की खरीद-फरोख्त करते हैं। कार्ड की क्लोनिंग करके पैसे चुराए जाते हैं। ये दुनियाभर के 1 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों के कार्ड हैक कर चुके हैं। ये ग्रुप ट्रम्प प्रशासन के अफसरों के सोशल सिक्योरिटी नंबर तक बेच चुका है।

रूसी हैकर्स होने की आशंका :जोकर्स स्टैश के पीछे फिन-7 डेटा हैकिंग संगठन है। ये कंपनियों के डेटा नेटवर्क को हैक करके डिटेल चुराते हैं। ये लोग डेटा से 7 हजार करोड़ रु. कमा चुके हैं। इसे चलाने वाले लोग कौन हैं, इसका पता नहीं लग सका है। अनुमान है कि ये रूस के हैकर्स हैं।



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Credit-debit card data of 1.2 million Indians stolen


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