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Sunday, 29 March 2020
Coronavirus Live Updates: Trump Retreats on Quarantine Threat; India’s Lockdown Brings Chaos and Hunger
By Unknown Author from NYT World https://ift.tt/33T59jR
एनएफसी और मोबाइल पेमेंट क्या होता है?
टेक्नोलॉजी और गैजेट्स से जुड़े ऐसे कई शब्द हैं, जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती। इनमें ज्यादातर शब्द तो हमारे द्वारा डेली इस्तेमाल किए जाने वाले स्मार्टफोन से जुड़े होते हैं। ऐसे में हम टेक गाइड की मदद से आपको इन शब्दों के मतलब समझा रहे हैं।
NFC : नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) शॉर्ट रेंज में ज्यादा फ्रीक्वेंसी के साथ डिवाइसेस को कनेक्ट करने में मदद करता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो लिमिटेड दूरी में तेज स्पीड के साथ NFC की मदद से वायरलेस डिवाइस कनेक्ट किए जा सकते हैं। ये फाइल शेयरिंग, इंटरनेट एक्सेस और अन्य सभी तरह के ट्रांसफर के लिए काफी उपयोगी साबित होता है।
मोबाइल पेमेंट : मोबाइल पेमेंट का सीधा मतलब मोबाइल से पेमेंट करना है। साथ ही, इसके द्वारा पैसा ट्रांसफर भी किया जा सकता है। मोबाइल पेमेंट के चार प्राइमरी मॉडल हैं, जिनमें इसमें SMS (शॉर्ट मैसेज सर्विस), डायरेक्ट मोबाइल बिलिंग, मोबाइल वेब पेमेंट (WAP) और नियर फील्ड कम्युनिकेशन (NFC) शामिल हैं।
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64 बिट प्रोसेसर, क्वाड-कोर या ऑक्टा-कोर प्रोसेसर और जीपीयू क्या होता है?
टेक्नोलॉजी और गैजेट्स से जुड़े ऐसे कई शब्द हैं, जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती। इनमें ज्यादातर शब्द तो हमारे द्वारा डेली इस्तेमाल किए जाने वाले स्मार्टफोन से जुड़े होते हैं। ऐसे में हम टेक गाइड की मदद से आपको इन शब्दों के मतलब समझा रहे हैं।
64 बिट प्रोसेसर : 64 बिट प्रोसेसर का मतलब है कि जो प्रोससेर फोन में इस्तेमाल किया गया है, वो फोन में ज्यादा रैम, ज्यादा मेमोरी और बेहतर कैमरा फीचर्स सपोर्ट कर सकता है। 64 बिट प्रोसेसर के साथ फोन में बेहतर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर फीचर्स दिए जा सकते हैं। इससे बेहतर बैटरी बैकअप भी मिलता है। बता दें कि आईफोन में भी 64 बिट प्रोसेसर मिलता है।
क्वाड-कोर या ऑक्टा-कोर प्रोसेसर : मल्टीकोर प्रोसेसर (एक से ज्यादा लेयर वाले) आम प्रोसेसर से बेहतर काम कर सकते हैं। सिंगल कोर प्रोसेसर एक समय पर एक ही काम करता है, वैसे ही क्वाड-कोर प्रोसेसर एक समय में चार अलग-अलग काम कर सकते हैं। मल्टीटास्किंग के लिए ये जरूरी है कि फोन में मल्टीकोर प्रोसेसर हो। प्रोसेसर को CPU भी कहा जाता है।
GPU : ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट एक स्पेशल सर्किट होता है जो फोन में इमेज इनपुट और आउटपुट का काम करता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो GPU की मदद से गेमर्स को गेम खेलने के दौरान बेहतर डिस्प्ले क्वालिटी मिलती है और ऐसा ही मूवी या वीडियो देखने के दौरान होता है।
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बीएसआई सेंसर, पिक्सल डेनसिटी और बेंचमार्क ऐप क्या होते हैं?
टेक्नोलॉजी और गैजेट्स से जुड़े ऐसे कई शब्द हैं, जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती। इनमें ज्यादातर शब्द तो हमारे द्वारा डेली इस्तेमाल किए जाने वाले स्मार्टफोन से जुड़े होते हैं। ऐसे में हम टेक गाइड की मदद से आपको इन शब्दों के मतलब समझा रहे हैं।
BSI सेंसर : BSI सेंसर या बैक इल्युमिनेटेड सेंसर एक तरह का डिजिटल इमेज सेंसर है जो फोटो क्वालिटी को बेहतर बनाता है। इस सेंसर के कारण ही खींची जा रही फोटो में बेहतर लाइट आती है और कम लाइट की कंडीशन में भी बेहतर क्वालिटी मिलती है। आसान शब्दों में कहें तो फोटो में कितनी ब्राइटनेस होगी, इसे BSI सेंसर कंट्रोल करता है।
पिक्सल डेनसिटी : इसे पिक्सल पर इंच (ppi) के रूप में मापा जाता है। जिस मोबाइल का ppi सबसे ज्यादा होता है वह मोबाइल उतना ही अच्छा होता है। स्क्रीन के डिस्प्ले के एक इंच की दूरी में जितने अधिक पिक्सल होंगे आपके डिवाइस का स्क्रीन डिस्प्ले उतना ही अच्छा होगा।
बेंचमार्क ऐप : बेंचमार्क ऐप आपके स्मार्टफोन को टेस्ट करते रहते हैं। ये ऐप बताते हैं कि आपका फोन कैसा काम कर रहा है। साथ ही, इस ऐप को इस्तेमाल करने वाले सभी स्मार्टफोन्स का डाटा भी ये आपसे शेयर करते हैं। यानी बेस्ट मोबाइल कौन से हैं और मार्केट में कौन से नए फोन आने वाले हैं।
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कैमरा मेगापिक्सल, रियर कैमरा, फ्रंट कैमरा क्या होता है?
टेक्नोलॉजी और गैजेट्स से जुड़े ऐसे कई शब्द हैं, जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती। इनमें ज्यादातर शब्द तो हमारे द्वारा डेली इस्तेमाल किए जाने वाले स्मार्टफोन से जुड़े होते हैं। ऐसे में हम टेक गाइड की मदद से आपको इन शब्दों के मतलब समझा रहे हैं।
मेगापिक्सल : कैमरा मेगापिक्सल का काम फोटो साइज को बढ़ाना होता है। जितने ज्यादा मेगापिक्सल होंगे, फोटो साइज भी उतना ही बड़ा होगा। हालांकि, इससे क्वालिटी में ज्यादा अंतर नहीं आता। कई लोगों को लगता है कि ज्यादा मेगापिक्सल होने से फोटो क्वालिटी बेहतर होगी, लेकिन ये सच नहीं है। फोटो क्वालिटी कैमरा सेंसर से बेहतर होती है, जो कलर और फोटो लाइट को संभालता है। वैसे, मेगापिक्सल फोटो क्वालिटी बढ़ाने में मददगार होता है।
रियर कैमरा : रियर कैमरा मतलब फोन का बैक कैमरा है, जो पोर्ट्रेट या लैंडस्केप में यूजर्स को फोटो खींचने की सुविधा देता है।
फ्रंट कैमरा : किसी भी गैजेट में फ्रंट कैमरा यूजर को सेल्फी खींचने और वीडियो कॉलिंग के काम आता है।
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कोरोन में मदद के नाम पर ठगी कर रहें हैकर्स, रिमोट सेंसिंग तकनीक से फोन हैक कर ऑनलाइन उड़ा रहे रकम
भोपाल. टोटल लॉक डाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए कई लोग आगे आए हैं। ऐसे समाजसेवियों से जुड़ने का झांसा देकर शातिर ठग उनके खाते से ही रकम उड़ा रहे हैं। ऐसे कुछ मामले राजधानी में भी हो चुके हैं। राजधानी के कोलार इलाके में रहने वाले संजय सुलानिया लॉक डाउन के दौरान लोगों को बचाव के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही घरों में फंसे लोगों की मदद के लिए अपने साथियों के साथ प्रतिदिन भोजन के पैकेट बांट रहे हैं। इसकी फोटो भी उन्होंने फेसबुक और वॉट्सएप पर शेयर की है। गुरुवार को उनके पास राजेश शाक्य नामक व्यक्ति का मोबाइल नंबर 789674898 से काॅल आया। उसने कहा कि वह भी इस अभियान में मदद करना चाहता है। संजय को खुशी हुई कि उनकी मुहिम में लोग जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने राजेश को हां कह दिया तो बदले में राजेश ने संजय से फोन पे की डिटेल मांगी। संजय ने कहा कि जिस नंबर पर आप बात कर रहे हैं, उसी नंबर पर राशि भेज दीजिए। तब संजय ने पूछा कि आपके अकाउंट में अभी कितना बैलेंस है। संजय ने कहा कि बैलेंस से आपको क्या करना है? क्योंकि राशि डालने के लिए बैलेेंस का होना जरूरी नहीं है। तब राजेश ने जवाब दिया कि उनका व उनके कुछ मित्रों का अकाउंट फाॅरेन में है। इसलिए कम से कम एक हजार रुपए अकाउंट में होना चाहिए।
संजय को शक हुआ, लेकिन उसने कह दिया कि इतनी राशि तो उसके अकाउंट में है। राजेश ने कहा कि आप लाइन पर रहिए, वे राशि जमा कर रहे हैं। इतने में संजय के पास एक ओटीपी नंबर आया और थोड़ी देर में 1150 रुपए ट्रांजेक्शन का मैसेज आ गया। यानि उनके खाते में कुल जमा राशि निकाल ली गई थी।
संजय को समझ में आ गया कि वे ठगे गए। यानि एकदम नया तरीका ऑनलाइन ठगी करने वालों ने ईजाद कर लिया है। वे पहले लोगों की फेसबुक प्रोफाइल खंगाल रहे हैं। फिर देख रहे हैं कि कौन लोग इस समय जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। जब उन्हें ऐसे लोग मिल जाते हैं तो इनकी पुरानी फोटो देखते हैं और उसी हिसाब से बातचीत का सिलसिला शुरू करते हैं। जब सामने वाले को यकीन हो जाता है तो उसे मदद का आश्वासन देकर उसी का पैसा उड़ा देते हैं। सायबर एक्सपर्ट ऐसे में प्रोफाइल को सुरक्षित करने की सलाह देते हैं।
ऐसे करते हैं ठगी
ये लोग ऑनलाइन तरीके से पूरे मोबाइल को रिमोट पर ले लेते हैं और फिर आपसे ही अपना एप ओपन करवाएंगे। जैसे ही आप एप को ओपन करते हैं तो खुद का नंबर डालकर आपके खाते में जमा पैसा दूसरे के खाते में ट्रांसफर करते हैं। इसके लिए आपके पास ओटीपी आता है तो वह भी रिमोट सेंसिंग की वजह से उन्हें दिखाई देता है। यह एक तरह की हाई टेक्नालाॅजी है, जिसका इस्तेमाल कम ही लोग करते हैं। दूसरा तरीका यह है कि वह आपसे ओटीपी पूछ लें और फिर उसकी मदद से पैसा खाते से उड़ा दें। हालांकि अब लोग ओटीपी को लेकर जागरुक हो गए हैं। ऐसे मामले कम ही सामने आते हैं, जिसमें ओटीपी के जरिए ठगी होती हो।
केस - एक
कोलार के ही मनोहर लोवंशी के पास भी राजेश शाक्य का कॉल आया। उसने वही बातचीत की जो संजय से की थी। उसकी बातों में आकर मनोहर ने उस अकाउंट की डिटेल दे दी, जिसमें कुल 100 रुपए थे। राजेश ने अकाउंट को रिमोट सेसिंग के जरिए ऑपरेट करना शुरू किया और दो ओटीपी मनोहर को मिले और ट्रांजेक्शन फेल्ड के मैसेज आए। मनोहर समझ गया कि उनका मोबाइल हैक हो गया, लेकिन वे ठगी से बच चुके थे।
केस - दो
जरूरतमंदों को ढूंढ-ढूंढकर मदद कर रहे धीरज सोनी के पास भी इसी प्रकार का काॅल आया। जैसे ही उनसे अकाउंट की डिटेल मांगी तो उन्हें शक हुआ। बैलेंस पूछने पर उन्हें पक्का यकीन हो गया कि यह कोई गिराेह है जो सक्रिय हो गया। पहले उन्होंने इस नंबर को ब्लॉक किया और फिर उसे वायरल कर दिया कि इस नंबर से सावधान रहे। इसके बाद मामले की जानकारी डीबी स्टार को दी।
फोटो, फ्रेंड्स करें हिडन
फेसबुक प्रोफाइल पर लगभग हमारी पूरी जानकारी मौजूद होती है। जैसे कि आपके फ्रेंड व रिलेटिव कौन हैं और कौन ज्यादा लाइक, कमेंट करता है। यात्राओं का विवरण होता है। यहां तक कि मोबाइल नंबर और ईमेल भी लिखा होता है। इन्हीं को आधार बनाकर सामने वाले आपसे ठगी करते हैं। इससे बचने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपनी सेटिंग में जाकर बदलाव कर दें। यानि फ्रेंड्स के अलावा कोई भी आपके फोटो नहीं देख सके। नंबर्स और ईमेल आदि तो केवल स्वयं के लिए ओपन रखें। जन्मतिथि में वर्ष को हाइड कर दें। ऐसा करने से कोई भी आपके बारे में कुछ पता नहीं लगा पाएगा। - हेमराज सिंह चौहान, सायबर एक्सपर्ट
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कोरोना के सवालों के लिए फर्जी ऐप-नंबरों से बचें; सोशल मीडिया के इन प्लेटफॉर्म्स का करें इस्तेमाल, मिलेगी सटीक और स्पष्ट जानकारी
गैजेट डेस्क. डब्ल्यूएचओ से लेकर सरकार तक कोरोना से जुड़ी जानकारियां देने के कई प्लेटफॉर्म इस्तेमाल कर रहे हैं। इन दिनों केवल वॉट्सऐप का इस्तेमाल ही 40% तक बढ़ गया है। वहीं कई फर्जी ऐप्स, वेबसाइट और नंबर भी आ गए हैं जो जानकारी का दावा करते हैं। आप इन विश्वसनीय प्लेटफॉर्म से जानकारी ले सकते हैं।
ऐप: कोरोना कवच
कैसे जुड़ें: प्ले स्टोर से Corona Kavach डाउनलोड करें। इसपर अपना फोन नंबर डालकर एकाउंट बनाएं।
क्या करता है: ऐप लोकेशन के आधार पर कोरोना मरीजों को ट्रैक कर यूजर को आगाह करता है, ताकि मरीज के आसपास होने पर सावधानी बरत सकें। कोरोना से जुड़ी जानकारी भी देता है।
टेलीग्राम पर भारत सरकार
कैसे जुड़ें: टेलीग्राम ऐप पर ‘MyGov Corona Newsdesk’ सर्च करें और Join पर क्लिक करें।
क्या बताएगा: यह कोरोना से जुड़ी खबरें देगा और अफवाहों से सचेत करेगा। वर्क फ्रॉम होम टिप्स, घर बैठे पढ़ाई जैसी कई काम की जानकारियां भी दे रहा है। इसमें 7.8 लाख सदस्य हैं।
वॉट्सऐप पर डब्ल्यूएचओ
कैसे जुड़ें: +41798931892 नंबर सेव कर इस पर ‘Hi’ वॉट्सऐप करें या wa.me/41798931892?text=hi लिंक ब्राउजर में डालें।
क्या बताएगा: वायरस से जुड़े नए आंकड़े, खबरें, दान देने के विकल्प, कोरोना से जुड़े भ्रम और सावधानी आदि से जुड़ी जानकारियां।
फेसबुक पर भारत सरकार
कैसे जुड़ें: फेसबुक पर MyGov Corona Hub सर्च करें। पेज को लाइक कर मैसेंजर में जाएं और ‘Get Started’ पर क्लिक करें।
क्या बताएगा: आपात स्थिति के लिए नंबर, ईमेल बताएगा। साथ ही आप सवाल लिखकर भी कोरोना से जुड़ी जानकारियां पूछ सकते हैं।
वॉट्सऐप पर भारत सरकार
कैसे जुड़ें: 9013151515 नंबर सेव करें। इस पर ‘Namaste’ वॉट्सऐप करें।
क्या बताएगा: हेल्पलाइन नंबर, कोरोना मरीजों के आंकड़े, वायरस से जुड़ी जानकारियां, जोखिम कम करने के तरीके, एम्स अस्पताल से पेशेवर जानकारियां आदि। जानकारी हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध।
अन्य तरीके
आप कोरोना से जुड़े अपने सवाल यहां भी पूछ सकते हैं-
नेशनल हेल्पलाइन नंबर: 011-23978046
टोल फ्री नंबर: 1075
ईमेल आईडी: ncov2019@gov.in
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