भोपाल. टोटल लॉक डाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए कई लोग आगे आए हैं। ऐसे समाजसेवियों से जुड़ने का झांसा देकर शातिर ठग उनके खाते से ही रकम उड़ा रहे हैं। ऐसे कुछ मामले राजधानी में भी हो चुके हैं। राजधानी के कोलार इलाके में रहने वाले संजय सुलानिया लॉक डाउन के दौरान लोगों को बचाव के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही घरों में फंसे लोगों की मदद के लिए अपने साथियों के साथ प्रतिदिन भोजन के पैकेट बांट रहे हैं। इसकी फोटो भी उन्होंने फेसबुक और वॉट्सएप पर शेयर की है। गुरुवार को उनके पास राजेश शाक्य नामक व्यक्ति का मोबाइल नंबर 789674898 से काॅल आया। उसने कहा कि वह भी इस अभियान में मदद करना चाहता है। संजय को खुशी हुई कि उनकी मुहिम में लोग जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने राजेश को हां कह दिया तो बदले में राजेश ने संजय से फोन पे की डिटेल मांगी। संजय ने कहा कि जिस नंबर पर आप बात कर रहे हैं, उसी नंबर पर राशि भेज दीजिए। तब संजय ने पूछा कि आपके अकाउंट में अभी कितना बैलेंस है। संजय ने कहा कि बैलेंस से आपको क्या करना है? क्योंकि राशि डालने के लिए बैलेेंस का होना जरूरी नहीं है। तब राजेश ने जवाब दिया कि उनका व उनके कुछ मित्रों का अकाउंट फाॅरेन में है। इसलिए कम से कम एक हजार रुपए अकाउंट में होना चाहिए।
संजय को शक हुआ, लेकिन उसने कह दिया कि इतनी राशि तो उसके अकाउंट में है। राजेश ने कहा कि आप लाइन पर रहिए, वे राशि जमा कर रहे हैं। इतने में संजय के पास एक ओटीपी नंबर आया और थोड़ी देर में 1150 रुपए ट्रांजेक्शन का मैसेज आ गया। यानि उनके खाते में कुल जमा राशि निकाल ली गई थी।
संजय को समझ में आ गया कि वे ठगे गए। यानि एकदम नया तरीका ऑनलाइन ठगी करने वालों ने ईजाद कर लिया है। वे पहले लोगों की फेसबुक प्रोफाइल खंगाल रहे हैं। फिर देख रहे हैं कि कौन लोग इस समय जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। जब उन्हें ऐसे लोग मिल जाते हैं तो इनकी पुरानी फोटो देखते हैं और उसी हिसाब से बातचीत का सिलसिला शुरू करते हैं। जब सामने वाले को यकीन हो जाता है तो उसे मदद का आश्वासन देकर उसी का पैसा उड़ा देते हैं। सायबर एक्सपर्ट ऐसे में प्रोफाइल को सुरक्षित करने की सलाह देते हैं।
ऐसे करते हैं ठगी
ये लोग ऑनलाइन तरीके से पूरे मोबाइल को रिमोट पर ले लेते हैं और फिर आपसे ही अपना एप ओपन करवाएंगे। जैसे ही आप एप को ओपन करते हैं तो खुद का नंबर डालकर आपके खाते में जमा पैसा दूसरे के खाते में ट्रांसफर करते हैं। इसके लिए आपके पास ओटीपी आता है तो वह भी रिमोट सेंसिंग की वजह से उन्हें दिखाई देता है। यह एक तरह की हाई टेक्नालाॅजी है, जिसका इस्तेमाल कम ही लोग करते हैं। दूसरा तरीका यह है कि वह आपसे ओटीपी पूछ लें और फिर उसकी मदद से पैसा खाते से उड़ा दें। हालांकि अब लोग ओटीपी को लेकर जागरुक हो गए हैं। ऐसे मामले कम ही सामने आते हैं, जिसमें ओटीपी के जरिए ठगी होती हो।
केस - एक
कोलार के ही मनोहर लोवंशी के पास भी राजेश शाक्य का कॉल आया। उसने वही बातचीत की जो संजय से की थी। उसकी बातों में आकर मनोहर ने उस अकाउंट की डिटेल दे दी, जिसमें कुल 100 रुपए थे। राजेश ने अकाउंट को रिमोट सेसिंग के जरिए ऑपरेट करना शुरू किया और दो ओटीपी मनोहर को मिले और ट्रांजेक्शन फेल्ड के मैसेज आए। मनोहर समझ गया कि उनका मोबाइल हैक हो गया, लेकिन वे ठगी से बच चुके थे।
केस - दो
जरूरतमंदों को ढूंढ-ढूंढकर मदद कर रहे धीरज सोनी के पास भी इसी प्रकार का काॅल आया। जैसे ही उनसे अकाउंट की डिटेल मांगी तो उन्हें शक हुआ। बैलेंस पूछने पर उन्हें पक्का यकीन हो गया कि यह कोई गिराेह है जो सक्रिय हो गया। पहले उन्होंने इस नंबर को ब्लॉक किया और फिर उसे वायरल कर दिया कि इस नंबर से सावधान रहे। इसके बाद मामले की जानकारी डीबी स्टार को दी।
फोटो, फ्रेंड्स करें हिडन
फेसबुक प्रोफाइल पर लगभग हमारी पूरी जानकारी मौजूद होती है। जैसे कि आपके फ्रेंड व रिलेटिव कौन हैं और कौन ज्यादा लाइक, कमेंट करता है। यात्राओं का विवरण होता है। यहां तक कि मोबाइल नंबर और ईमेल भी लिखा होता है। इन्हीं को आधार बनाकर सामने वाले आपसे ठगी करते हैं। इससे बचने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपनी सेटिंग में जाकर बदलाव कर दें। यानि फ्रेंड्स के अलावा कोई भी आपके फोटो नहीं देख सके। नंबर्स और ईमेल आदि तो केवल स्वयं के लिए ओपन रखें। जन्मतिथि में वर्ष को हाइड कर दें। ऐसा करने से कोई भी आपके बारे में कुछ पता नहीं लगा पाएगा। - हेमराज सिंह चौहान, सायबर एक्सपर्ट
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