Wednesday, 3 June 2020

Embattled at Home, Trump Finds Himself Isolated Abroad, Too


By Steven Erlanger from NYT World https://ift.tt/36YzZsX

एक लाख से अधिक भारतीयों के आधार, पैन और पासपोर्ट की जानकारी डार्क नेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध, डेटा का हो सकता है गलत इस्तेमाल

कोविड-19 महमारी के दौरान साइबर अपराधों में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है। कुछ दिन पहले ही भीम एप का डेटा लीक हुआ था, उसके बाद डिजिलॉकर के करीब 70 लाख यूजर्स की निजी जानकारी लीक हुई थी। अब एक लाख से अधिक भारतीयों के आधार कार्ड, पैन कार्ड, पहचान पत्र और पासपोर्ट की स्कैन कॉपी डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध होने की खबर है। इसकी जानकारी साइबर सिक्योरिटी फर्म साइबल (Cyble) ने दी है।

डेटा एक थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म से लीक हुआ है

साइबल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह डेटा लीक एक थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म से हुआ है ना कि सरकारी डेटाबेस से। डार्क वेब पर मौजूद जानकारी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह डेटा किसी केवाईसी (नो योर कस्टमर) कंपनी के जरिए लीक हुई है, क्योंकि जो डेटा डार्क वेब पर मौजूद है उनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट की स्कैन कॉपी शामिल है। डार्क नेट इंटरनेट का वह हिस्सा होता है जो सामान्य सर्च इंजन की पहुंच से दूर होता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है।

दस्तावेज स्कैन कॉपी के रूप में हैं

भारत के अलग-अलग हिस्सों के एक लाख से अधिक लोगों के पहचान दस्तावेजों तक कथित पहुंच का दावा किया है। साइबल के शोधार्थियों ने उस उपयोक्ता से करीब एक लाख पहचान दस्तावेज हासिल कर उनके भारतीय होने की पुष्टि की है। यह सभी दस्तावेज स्कैन कॉपी के रूप में हैं। इनके किसी कंपनी के 'अपने ग्राहक को जानो' डेटाबेस से चोरी होने की संभावना है। हालांकि कंपनी इस मामले की जांच कर रही है।



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यह सभी दस्तावेज स्कैन कॉपी के रूप में हैं


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48 हजार रुपए महंगी हुई BS6 टोयोटा फॉर्च्यूनर एसयूवी, बढ़ोतरी के बाद 28.66 लाख रुपए हुई शुरुआती कीमत

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने इस साल फरवरी में फॉर्च्यूनर का BS6 मॉडल पेश किया था। उस समय इसकी शुरुआती कीमत 28 लाख 18 हजार रुपए थी। लेकिन अब कंपनी ने एसयूवी की सभी वैरिएंट की कीमत में 48 हजार रुपए की बढ़ोतरी कर दी है। जिसकी बाद इसकी शुरुआती कीमत 28 लाख 66 हजार रुपए हो गई है। टॉप मॉडल खरीदाने के लिए अब 34 लाख 43 हजार रुपए खर्च करने होंगे। एसयूवी 2.7 लीटर पेट्रोल और 2.8 डीजल इंजन ऑप्शन में अवेलेबल है।
7 सीटर एसयूवी की पूरी लाइनअप की कीमत में 48 हजार रुपए की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। एंट्री लेवल मैनुअल पेट्रोल की कीमत पहले 28.18 लाख रुपए थी, जो बढ़ोतरी के बाद 28.66 लाख रुपए हो गई है। दूसरी ओर, टॉप-एंड 4×4 ऑटोमैटिक डीजल ट्रिम की कीमत पहले 33.95 लाख रुपए थी, लेकिन अब इसे खरीदने के लिए 34.43 लाख रुपए खर्च करने होंगे।

इंजन में कोई बदलाव नहीं
एसयूवी की ताकत की बात करें तो इसमें पहले की तरह ही BS6 कंप्लेंट 2.7-लीटर फोर-सिलेंडर पेट्रोल और 2.8-लीटर फोर-पॉट डीजल इंजन मिलेंगे। पेट्रोल मोटर 5,200 आरपीएम पर 163.7 एचपी की अधिकतम पावर के साथ 4,000 आरपीएम पर 245 एनएम पीक टॉर्क जनरेट करता है, जबकि 2.8 लीटर ऑयल बर्नर 3,400 आरपीएम पर 174.5 एचपी पावर और 420 एनएम (मैनुअल)- 450 एनएम (ऑटोमैटिक) टॉर्क जनरेट करता है।

वैरिएंट वाइस कीमत

वैरिएंट नई कीमत* पुरानी कीमत* अंतर
2.7L 4×2 MT पेट्रोल 28.66 लाख रु. 28.18 लाख रु. 48,000 रु.
2.7L 4×2 AT पेट्रोल 30.25 लाख रु. 29.77 लाख रु. 48,000 रु.
2.8L 4×2 MT डीजल 30.67 लाख रु. 30.19 लाख रु. 48,000 रु.
2.8L 4×2 AT डीजल 32.53 लाख रु. 32.05 लाख रु. 48,000 रु.
2.8L 4×4 MT डीजल 32.64 लाख रु. 32.16 लाख रु. 48,000 रु.
2.8L 4×4 AT डीजल 34.43 लाख रु. 33.95 लाख रु. 48,000 रु.

फॉर्च्यूनर का पेट्रोल वर्जन एकमात्र 2WD कॉन्फ़िगरेशन के साथ आता है, जबकि टॉप-एंड डीजल मॉडल में ऑप्शनल 4×4 कॉन्फ़िगरेशन मिल सकता है। ट्रांसमिशन ऑप्शनंस में 6-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स, और पेट्रोल और डीजल दोनों वैरिएंट पर ऑप्शनल 6-स्पीड ऑटोमैटिक शामिल है।
टोयोटा इस समय वैश्विक स्तर पर फॉर्च्यूनर के लिए एक मिड-लाइफ फेसलिफ्ट को डेब्यू करने पर काम कर रही है, इस साल के अंत में भारत में भी लॉन्च देखने को मिल सकती है। अब तक, टोयोटा फॉर्च्यूनर देश में फोर्ड एंडेवर, महिंद्रा अल्टुरस G4 और इसी तरह की अन्य पूर्ण आकार वाली एसयूवी की पसंद के खिलाफ है।



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टोयोटा इस समय वैश्विक स्तर पर फॉर्च्यूनर के लिए एक मिड-लाइफ फेसलिफ्ट को डेब्यू करने पर काम कर रही है


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प्राइवेट मोड में यूजर्स की निगरानी करने के मामले में फंसी गूगल, अमेरिका में 5 बिलियन डॉलर का मुकदमा दायर हुआ

प्राइवेट मोड में यूजर्स की निगरानी करना गूगल के लिए महंगा सौदा साबित हुआ है। अमेरिका में सर्ज इंजन कंपनी गूगल पर मुकदमा दायर किया गया है। दावा किया गया है कि गूगल अवैध रूप से यूजर्स की गोपनीयता पर हमला करता है, भले ही वे प्राइवेट में ब्राउज़िंग क्यों न कर रहे हों। इसके एवज में गूगल और उसकी पैरेंट कंपनी अल्फाबेट से 5 बिलियन डॉलर हर्जाने की मांग की गई है।
कई इंटरनेट यूजर्स मानते हैं कि प्राइवेट मोड में देखने पर उनके सर्च हिस्ट्री ट्रैक नहीं किया जा रहा है, लेकिन गूगल का कहना है कि ऐसा नहीं है। कंपनी ने इस बात से इनकार करती है कि यह गैरकानूनी है और वह इस मोड से कलेक्ट किए गए डेटा के प्रति ईमानदार है।

मंगलवार को दायर किया गया मुकदमा

  • लॉ फर्म Boies Schiller Flexner जिन्होंने मंगलवार को कैलिफोर्निया के सैन जोस में संघीय अदालत में दावा दायर किया ने बताया कि प्रस्तावित वर्गीय कार्रवाई में गूगल के लाखों यूजर्स शामिल हैं, जिन्होंने 1 जून 2016 तक इंटरनेट को निजी मोड में इस्तेमाल किया है। शिकायत में कहा गया है कि गूगल "कंप्यूटर या फोन के साथ लगभग हर अमेरिकी से गुप्त और अनधिकृत डेटा संग्रह में संलग्न नहीं रह सकता है।"
  • कुछ समय के लिए गूगल से निजी ब्राउज़िंग उपलब्ध होने के बावजूद, Boies Schiller Flexner ने कहा कि उसने हाल ही में अमेरिका में स्थित तीन वादियों का प्रतिनिधित्व करने का निर्णय लिया है। फाइलिंग में कहा गया है कि "हर जगह लोग अधिक जागरूक (और चिंतित) हो रहे हैं कि उनके व्यक्तिगत संचार को प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा हासिल करने के लिए इंटरसेप्ट, एकत्र, रिकॉर्ड या शोषित किया जा रहा है।"

इन्कॉग्निटो मोड में सेव होती सर्च हिस्ट्री

  • गूगल क्रोम ब्राउज़र में मिलने वाला इन्कॉग्निटो (गुप्त) मोड यूजर को ब्राउज़र या डिवाइस में अपनी गतिविधियों को सेव किए बगैर इंटरनेट पर खोजने का विकल्प देता है। लेकिन देखी जाने वाली वेबसाइट उपयोग को ट्रैक करने के लिए गूगल एनालिटिक्स जैसे टूल का उपयोग कर सकती हैं।
  • गूगल के प्रवक्ता जोस कास्टानेडा ने इन दावों का सख्ती से खंडन करते हुए कहा: "जैसा कि हम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि हर बार जब आप एक नया इन्कॉग्निटो टैब खोलते हैं, तो वेबसाइटें आपकी ब्राउज़िंग गतिविधि के बारे में जानकारी एकत्र करने में सक्षम हो सकती हैं"।
  • सर्च इंजन का कहना है कि सर्च हिस्ट्री कलेक्शन( प्राइवेट मोड में भी) साइट के मालिकों को "उनकी कंटेंट, प्रोडक्ट, मार्केटिंग के प्रदर्शन का बेहतर मूल्यांकन करने में मदद करता है।"


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प्राइवेट मोड में यूजर्स की निगरानी करने के मामले में फंसी गूगल, अमेरिका में 5 बिलियन डॉलर का मुकदमे दायर हुआ


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BHIM ऐप के बाद DigiLocker में भी सामने आई सुरक्षा संबंधित खामी, हैक हो सकता था 3.84 करोड़ भारतीयों का डेटा

मोबाइल पेमेंट ऐप BHIM के बाद अब DigiLocker अपनी सुरक्षा प्रणाली को लेकर विवादों में है। हाल में एक सुरक्षा शोधकर्ता ने इसकी खामी को उजागर किया, जिस कारण करोड़ों यूजर्स का निजी डेटा खतरे में था। डिजिलॉकर, एक सरकारी ऑनलाइन सर्विस है, जो डॉक्यूमेंट्स को डिज़िटली स्टोर करने की सुविधा देते है। इसमें ऑथेंटिकेशन में खामी पाई गई थी। इस खामी का लाभ उठाकर हैकर्स टू-स्टेप ऑथेंटिकेशन को पार करके किसी का भी संवेदनशील डेटा को एक्सेस कर सकते थे। हालांकि, खामी उगाजर होते ही, इसे फिक्स कर दिया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि इस सरकारी सर्विस का इस्तेमाल 3.84 करोड़ यूज़र्स करते हैं, अगर यह खामी सामने नहीं आती, तो कोई भी इन सभी यूज़र्स के डेटा का गलत इस्तेमाल आसानी से कर सकता था।

ऑथेंटिकेशन मैकनिज़म में सामने आई खामी

  • सुरक्षा शोधकर्ता आशीष गहलोत ने डिजिलॉकर की इस कमी को उजागर किया था। उन्होंने ऑथेंटिकेशन मैकनिज़म को एनालिसस करते हुए डिजिलॉकर सिस्टम में इस खामी को पाया। हालांकि, रिसर्चर ने पाया कि डिजिटल स्टोरेज में लॉग-इन करते समय डिफॉल्ट मैकनिज़म वन-टाइम पासवर्ड (OTP) और पिन मांगता है। लेकिन, वह इस प्रक्रिया को बायपास करने में सफल रहे, उन्होंने इसमें आधार नंबर जोड़ा और डिजिलॉकर के कनेक्शन को इंटरस्पेट करते हुए पैरामीटर्स बदल दिए।
  • जो भी शख्स टेक्निकल नॉलेज रखता होगा, वह इस ऑथेंटिकेशन कमी का लाभ उठाकर नया पिन सेट कर सकता है और यहां तक कि डिजिलॉकर अकाउंट को एक्सेस करने में भी कामयाब हो सकता है, वो भी बिना किसी पासवर्ड के। इसके अलावा इस कमी के जरिए हैकर्स ओटीपी प्रक्रिया को बायपास करके यूज़र प्रोफाइल को भी एक्सेस कर सकता है और इंटरस्पेटिंग टूल का इस्तेमाल करके कई बदलाव भी कर सकता है।

पिछले महीने सामने खानी, सोमवार को ठीक की हुई
आपको बता दें, गहलोत ने डिजिलॉकर में यह कमी पिछले महीने देखी थी, जिसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी डिजिलॉकर टीम को भी दी। टीम ने कुछ ही दिनों में पिन बायपास की इस कमी को फिक्स कर दिया। हालांकि, ओटीपी बायपास कमी को सोमवार को फिक्स किया गया है।

प्लेटफार्म पर 3.84 करोड़ रजिस्टर्ड यूज़र्स
डिजिलॉकर साइट पर उपलब्ध आंकड़ों को देखें, तो 3.84 करोड़ रजिस्टर्ड यूज़र्स इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। इस प्लेटफॉर्म पर आधार कार्ड, इंश्योरेंस लेटर, इनकम टैक्स रिटर्न, मार्कशीट जैसे कई महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स को डिजिटल फॉर्म में स्टोर किया जाता है।



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इसपर आधार कार्ड, इंश्योरेंस लेटर, इनकम टैक्स रिटर्न, मार्कशीट जैसे कई महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स को डिजिटल फॉर्म में स्टोर किया जाता है


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मित्रों के बाद गूगल प्ले स्टोर से हटाया गया भारत में बना Remove China Apps, भ्रामक व्यवहार नीति के उल्लंघन का आरोप

पिछले महीने लॉन्च हुए भारतीय ऐप रिमूव चाइना ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है। गूगल के मुताबिक, ऐप ने प्ले स्टोर की भ्रामक व्यवहार नीति (Deceptive Behaviour Policy) का उल्लंघन किया है। इस पॉलिसी के तहत कोई भी ऐप यूजर की डिवाइस सेटिंग्स में या ऐप के बाहर के फीचर में कोई बदलाव नहीं कर सकता साथ ही किसी थर्ड पार्टी ऐप को हटाने के लिए उत्तेजित नहीं कर सकता। कंपनी ने इसी 17 मई को प्ले स्टोर पर लाइव किया था, जो लद्दाख में LAC सीमा पर भारत-चीनी के बीच तनाव बढ़ने के बाद सुर्खियों में आया था। इसे खासतौर से चीन निर्मित ऐप्स को फोन से हटाने के लिए डिजाइन किया गया था, इसे 50 लाख से ज्यादा यूजर्स डाउनलोड कर चुके थे।

मित्रों ऐप पर लगा 'स्पैम और मिनिमम फंक्शनलिटी' पॉलिसी के उल्लंघन का आरोप
यह इस सप्ताह गूगल प्ले स्टोर से निकाला जाने वाला दूसरा हाई प्रोफाइल ऐप है। रिमूव चाइना ऐप्स को हटाने से कुछ घंटे पहले मित्रों ऐप को स्टोर से भी हटा दिया गया था। चीन विरोधी भावनाओं के कारण मित्रों ऐप को भी 50 लाख से अधिक डाउनलोड्स मिल चुके थे। जिसके बाद गूगल प्ले स्टोर ने 'स्पैम और मिनिमम फंक्शनलिटी' पॉलिसी के उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए ऐप को हटा दिया था।

रिमूव चाइना ऐप्स की निर्माताओं ने ट्वीट कर दी जानकारी
जयपुर की वनटच लैब्स द्वारा बनाई गई रिमूव चाइना ऐप्स के निर्माताओं ने मंगलवार देर रात ट्वीट कर गूगल प्ले स्टोर से इसे हटाने की पुष्टि की। कंपनी ने बताया कि जब बड़ी संख्या में लोग चीन निर्मित ऐप्स को हटाने के लिए रिमूव चाइना ऐप्स का उपयोग कर रहे थे, तो इसका उद्देश्य "लोगों को किसी भी एप्लिकेशन को अनइनस्टॉल करने के लिए प्रोत्साहित या मजबूर करना नहीं था" इसे केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए डेवलप किया गया था।

गूगल ने भी अपनी सफाई दी
गूगल ने पुष्टि की कि उसने गूगल प्ले स्टोर की भ्रामक व्यवहार नीति का उल्लंघन करने के लिए रिमूव चाइना ऐप्स को हटाने का निर्णय लिया है। पॉलिसी उन ऐप्स को अनुमति नहीं देता है जो यूजर को थर्ड पार्टी ऐप्स हटाने या अन इंस्टॉल करने में प्रोत्साहित करते हैं" और यूजर को थर्ड पार्टी ऐप हटाने या डिसेबल करने के लिए भ्रमित करता है। हालांकि, गूगल ने निलंबन पर और टिप्पणी देने से इनकार कर दिया।

प्ले स्टोर पर रिमूव चाइना ऐप्स की औसत रेटिंग 4.9 स्टार
गूगल प्ले स्टोर पर रिमूव चाइना ऐप्स को बड़ी मात्रा में सकारात्मक समीक्षा मिली थींं, जिनकी औसत रेटिंग 4.9 स्टार थीं। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होने के तुरंत बाद इसके डाउनलोड भी नए स्तर पर पहुंच गए। ऐप की क्विक ग्रोथ ने सुझाव दिया कि कैसे भारत में बड़ी संख्या में स्मार्टफोन यूजर्स चीनी निर्मित ऐप्स से दूर रहने के लिए एक समाधान की तलाश कर रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से सीमा पार तनाव के कारण चीन के साथ अपने संबंधों को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा चल रहे उपायों से मेल खाता है।

टिकटॉक सहित कई ऐप्स को पहले से ही एक चीनी प्लेटफार्म होने के लिए सार्वजनिक नाराजगी का सामना करना पड़ा है। इसके विपरीत, चीन विरोधी भावना के बढ़ने से टिकटॉक वैकल्पिक मित्रों को शुरू में मदद मिली, जिसे शुरू में एक भारतीय ऐप माना जाता था, हालांकि हालिया रिपोर्ट में पाकिस्तान के साथ सोर्स कोड खरीदने की बात सामने आई थी। हालांकि, बाद में स्पैम और दोहराव वाली सामग्री नीतियों का उल्लंघन करने के लिए गूगल प्ले स्टोप से भी हटा दिया गया था।

लोगों ने मीम्स के जरिए ट्विटर पर दिखाया गुस्सा

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गूगल प्ले स्टोर पर रिमूव चाइना ऐप्स को बड़ी मात्रा में सकारात्मक समीक्षा मिली थीं, जिनकी औसत रेटिंग 4.9 स्टार थीं


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