साल 2020 ऑटो निर्माताओं के लिए काफी चुनौती भरा रहा लेकिन पिछले साल की सेल्स रिपोर्ट में कई दिलचस्प आंकड़े देखने को मिले। 15 साल से बाजार में मौजूद मारुति स्विफ्ट ने पहली बार अपने ही ब्रांड की सबसे ज्यादा बिकने वाली मिनी कार ऑल्टो को पछाड़ कर भारत की बेस्ट सेलिंग कार का खिताब हासिल किया।
मारुति ऑल्टो की शुरुआती कीमत 2.95 लाख रुपए जो 4.36 लाख रुपए तक जाती है, जबकि स्विफ्ट की शुरुआती कीमत 5.19 लाख रुपए है, जो टॉप वैरिएंट के लिए 8.02 लाख रुपए तक जाती है। यानी देखा जाए तो दोनों की शुरुआती कीमत में लगभग 2.24 लाख रुपए का अंतर है। जाहिर सी बात है कि स्विफ्ट ज्यादा मॉडर्न और फीचर रिच हैचबैक है।
लेकिन महामारी और आर्थिक संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था में आखिर क्यों उपभोक्ताओं ने छोटी और सस्ती ऑल्टो की बजाए महंगी स्विफ्ट को खरीदना पसंद किया, यह जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से बात की....
ऑटो एक्सपर्ट अमित खरे (ASK Guru) ने दैनिक भास्कर को इसके पीछे की वजह बताई, उन्होंने कहा कि भारतीय हमेशा लॉन्ग-टर्म के लिए कार खरीदना पसंद करते हैं। ऑल्टो हमेशा से ही एंट्री लेवल कार रही है। अधिकतर इसे फर्स्ट टाइम बायर्स खरीदना पसंद करते हैं और स्विफ्ट हमेशा से ही अप-मार्केट कार रही है। जो ज्यादा प्रीमियम और पावरफुल होने के साथ बड़ी कार का फील भी देती है। जो लोग दूसरी कार खरीद रहे होते हैं वो भी स्विफ्ट को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि इसकी री-सेल वैल्यू और फ्यूल एफिशिएंसी भी अच्छी है।
लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है, पहली कार के तौर पर भी लोग एंट्री लेवल की तुलना में इससे ऊपर की कारें जैसे स्विफ्ट, बलेनो या मिनी एसयूवी खरीदना पसंद कर रहे हैं। एक वजह यह भी है कि यंग जनरेशन की ज्यादा पैसा कमा रही है तो खर्च भी ज्यादा कर रही है। इसी कारण रेडी-गो, क्विड जैसे एंट्री लेवल कारें बाजार से अपनी पकड़ खोती जा रही हैं। हुंडई ने तो अपनी एंट्री लेवल कार इऑन का प्रोडक्शन बंद भी कर दिया है वहीं मारुति भी एंट्री लेवल कारों की रेंज में छंटनी करती जा रही है।
2020 में ही स्विफ्ट टॉप पर क्यों पहुंची, इस पर उन्होंने कहा कि 2020 में लोग समझ चुके थे कि एंट्री लेवल कारें काम चलाने के लिए ठीक है, वास्तव विश्वसनीयता के मामले में यह उतनी बेहतर नहीं है जितनी स्विफ्ट जैसी कार हैं, क्योंकि छोटी कारों में फीचर, स्पेस समेत कई चीजों के साथ समझौता करना पड़ता है।
बीता साल सेल्टोस का मार्केट तेजी से क्यों बढ़ा, इसे लेकर उन्होंने कहा कि हुंडई ने नई क्रेटा को ऑटो एक्सपो 2020 में शोकेस किया था, जिस कारण क्रेटा लवर्स पुरानी की बजाए नई क्रेटा लॉन्च होने का इंतजार करने लगे, इसकी वजह से भी क्रेटा की सेल्स में कमी आई। वहीं सेल्टोस पहले ही दिन से ही बीएस 6 इंजन के साथ उपलब्ध है, तो जिन लोगों में बीएस 4 और बीएस 6 के बीच कंफ्यूजन था, उन्होंने सेल्टोस को खरीदना पसंद किया। दूसरा कारण यह भी है कि सेल्टोस काफी फीचर रिच एसयूवी है साथ ही क्रेटा की तुलना में लुक्स वाइज भी बेहतर है। इसलिए भी लोगों ने सेल्टोस को प्राथमिकता दी।
2018 में डिजायर भी पहले पायदान पर कब्जा कर चुकी है
- हालांकि, 2018 में डिजायर भी कुल बिक्री के मामले ऑल्टो को पछाड़ चुकी है और भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार का खिताब अपने नाम कर चुकी है। लेकिन साल गुजरते ही माहौल बदला और 2019 में दोबारा ऑल्टो में पहले पायदान पर कब्जा जमाया।
- 2018 में डिजायर 2,64,612 लाख से ज्यादा यूनिट बिक्री के साथ भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार रही जबकि इस दौरान ऑल्टो के 2,56,661 यूनिट बिके थे। वहीं 2019 में ऑल्टो 2,08,087 यूनिट के बेस्ट सेलिंग कार की लिस्ट में पहले पायदान पर रही।
सालाना गिरावट के बाद भी क्रेटा सेल्टोस से आगे, देखें 2020 का सेल्स रिपोर्ट कार्ड
- साल 2020 में जब महामारी ने पूरी अर्थव्यवस्था को पस्त कर दिया था, टॉप-10 की लिस्ट में लगभग सभी कारों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई। लेकिन लिस्ट में किआ एकमात्र ऐसा निर्माता था, जिसमें सेल्टोस के दम पर भारी बढ़ोतरी दर्ज की।
- 2019 के मुकाबला में किआ ने सालाना आधार पर 113 फीसदी की ग्रोथ की। कंपनी ने 2019 में ही बाजार में एंट्री की थी। साल की पहली छमाही में लॉकडाउन के कारण अप्रैल में लगभग सभी निर्माताओं की बिक्री शून्य रही।
- ऑल्टो ने 154,076 यूनिट की बिक्री में 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की, जो फीसदी की दृष्टि से लिस्ट में केवल दो अन्य कारों (डिजायर: 37 फीसदी और ब्रेजा: 34 फीसदी) की तुलना में बेहतर थी।
- लिस्ट में देखा जा सकता है कि स्विफ्ट और मारुति की प्रीमियम हैचबैक बलेनो ने समान रूप से 16.2 फीसदी की गिरावट के साथ बेहतर प्रदर्शन किया। इसने स्विफ्ट को पहला स्थान हासिल करने में मदद की, जबकि बलेनो तीसरे स्थान पर पहुंच गई। 2019 में एस-प्रेसो के लॉन्च होने के बाद भी एंट्री-लेवल मिनी कार को भी नुकसान उठाना पड़ा। 2020 में एस प्रेसो के कुल 67,690 यूनिट बिके।
- सबसे ज्यादा नुकसान मारुति डिजायर और हुंडई की प्रीमियम हैचबैक एलीट i20 को हुआ। मारुति ने डीजल मॉडल को बंद करने का फैसला लिया, जिसका कॉम्पैक्ट एसयूवी ब्रेजा और डिजायर पर बड़ा प्रभाव पड़ा।
- पिछले कुछ वर्षों में, ब्रेजा ने देश में सर्वश्रेष्ठ एसयूवी के रूप में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी, लेकिन डीजल पावरट्रेन की कमी के कारण (जो एसयूवी में सबसे ज्यादा पसंदीदा ईंधन है) और हुंडई वेन्यू-किआ सोनेट से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलने के कारण एसयूवी को लिस्ट में चार स्थानों से 10वें पर ला दिया। यह वेन्यू से केवल 1,200 यूनिट से थोड़ा आगे था।
- हुंडई की मिड-साइज एसयूवी क्रेटा, जिसे अप्रैल में लॉकडाउन से ठीक पहले फेसलिफ्ट मिला था, बिक्री में केवल 2.75 फीसदी गिरावट दर्ज करने वाला सबसे लचीला ब्रांड था। लगभग 97,000 यूनिट की बिक्री के साथ, यह देश में सबसे अधिक बिकने वाली एसयूवी बन गई है, जो कि छोटी और सस्ती कॉम्पैक्ट एसयूवी है।
- क्रेटा की क्लोज कॉम्पीटिटर किआ सेल्टोस ने भी अपने पहले साल में मजबूत प्रदर्शन किया था और प्रतियोगिता की सीमा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह क्रेटा से सिर्फ 57 यूनिट से पीछे थी।
- दिलचस्प बात यह भी है कि सालाना आधार पर 113 फीसदी की ग्रोथ दर्ज कराने के बावजूद सेल्टोस बिक्री के मामले में क्रेटा से आगे नहीं निकल पाए लेकिन कड़ी टक्कर जरूर दी।
- किआ लिस्ट में एकमात्र बाहरी ब्रांड था जो मारुति और हुंडई ब्रांडों पर पूरी तरह से हावी है। यह एलीट i20 की कीमत पर आया, जो बिक्री में 40 फीसदी की गिरावट का सामना कर रही है। 2019 में एलीट i20 देश में सातवीं सबसे ज्यादा बिकने वाली कार थी।
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