Friday, 2 October 2020

गर्मी हो या बरसात, कार अंब्रेला हर मौसम में कार को रखेगा सुरक्षित, एक मिनट से भी कम समय में हो जाता है रेडी-टू-यूज

गर्मी हो या बारिश, पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था न होने पर कई लोगों की कारें खुली जगहों पर खड़ी रहती है। जिसका परिणाम यह होता है कि तेज धूप से कुछ समय बाद कलर फेड और पेंट में क्रेक आने लगते हैं, तो बारिश में जंग लगने का टेंशन बनी रहती है और रही कसर पक्षी गाड़ी पर गंदगी करके निकला देते हैं और इससे भी गाड़ी के कलर को काफी नुकसान पहुंचता है।
अगर आप भी इस समस्या से रोजाना जूझ रहे हैं और अपनी गाड़ी को सुरक्षित रखने के विकल्प ढूंढ रहे हैं, तो आप कार अंब्रेला (car umbrella) खरीद सकते हैं। इसे हर मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है। तो चलिए बात करते हैं कार अंब्रेला के बारे में, समझते हैं इसकी वर्किंग प्रोसेस साथ ही जानते हैं इसकी कीमत और फायदे...

क्या है कार अंब्रेला और कैसे काम करता है?

  • जैसे की नाम से ही समझ आ रहा है, यह एक तरह का छाता है, जिसे खासतौर से कारों के लिए बनाया गया है। धूप और बारिश से बचने के लिए हम जिस छाते का उपयोग करते हैं यह उसकी तुलना में यह थोड़ा बड़ा होता है। अलग-अलग सेगमेंट की कार (सेडान, हैचबैक) के लिए अलग-अलग साइज के कार अंब्रेला आते हैं, और यह लगभग पूरी तरह से कार को ढक लेते हैं।
  • अंब्रेला कार्बन स्टील और नाइलोन से बना होता है जो इसे हल्का और मजबूत बनाते हैं। इसे बनाने में सिंथेटिक क्लॉथ का भी इस्तेमाल होता है, जो ज्यादातर सिल्वर कलर का होता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा सूरज की रोशनी रिफ्लेक्ट हो सके।
  • हल्का होने की वजह से इसे एक व्यक्ति आसानी से लगा सकता है। खोलने के बाद इसे कार की छत पर रखना होता है। सेल्फी और सिक्योरिटी के लिए इसमें सेफ्टी बेल्ट्स मिलते है, जिसके अंदर स्टील वायर लगे होते हैं, ताकि इसे कोई चुरा ना पाए। सेल्फी बेल्ट के अलावा इसमें एंटी विंड हुक भी मिलते हैं, जिसे कार के चारों कोने में लगाना होता है, ताकि तेज हवा में यह अपनी जगह पर बना रहे।

क्या है इस के फायदे?

  • गर्मी के मौसम में अगर कार अंब्रेला इस्तेमाल करते हैं, तो यह कार के केबिन का तापमान बाहर के तापमान की तुलना में 20 डिग्री तक कम रखता है।
  • यह सूरज की रोशनी रिफ्लेक्ट कर देता है यानी किरणें सीधे कार की बॉडी से नहीं टकराती, इससे कलर फेड नहीं होता और इंटीरियर, सीट्स और अन्य एक्सेसरीज भी सुरक्षित रहती हैं।
  • इसे टू-व्हीलर के लिए भी यूज किया जा सकता है। एक टेंट की नीचे करीब चार टू-व्हीलर पार्क किए जा सकते हैं।
  • घर के गार्डन में या पिकनिक के दौरान इसे टेंट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह से यूज करने के लिए ट्राय-पॉड स्टैंड साथ में मिलता है।
  • इसका फेब्रिक काफी मजबूत होता है। यह छोटे पत्थर, बॉटल जैसे चीजों का भार झेलने में सक्षम है, यानी इन चीजों से भी कार को प्रोटेक्शन मिलता है।
  • हल्का होने के कारण इसे इस्तेमाल करना आसान है। इंस्टॉल करने में करीब 30 सेकंड और अन-इंस्टॉल करने में 15 से 20 सेकंड का समय लगता है।

कितनी है कीमत?

विदेशों में इसका चलन काफी ज्यादा है। भारत में यह प्रोडक्ट नया है इसलिए सीमित जगहों पर उपलब्ध है। इसे अमेजन से खरीदा जा सकता है, जहां इसकी शुरुआती कीमत 8 हजार रुपए के लगभग है। साइट पर ऑटोमैटिक कार अंब्रेला भी उपलब्ध हैं, इन्हें रिमोट से ऑपरेट किया जा सकता है, लेकिन इनकी कीमत काफी ज्यादा है।


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इस प्रोडक्ट को टू-व्हीलर के लिए भी यूज किया जा सकता है। एक टेंट की नीचे करीब चार टू-व्हीलर पार्क किए जा सकते हैं।


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Thursday, 1 October 2020

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ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बोले- डीलर्स और ग्राहकों के फायदे के लिए लाएंगे फ्रेंचाइजी एक्ट, फेस्टिवल सेल्स उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई तब नौकरियों का नुकसान होगा

कोविड-19 महामारी के बुरे दौर से गुजरने के बाद अब ऑटो इंडस्ट्री की हालात में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। पिछले 2 महीनों में ऑटो सेल्स का ग्राफ तेजी से ऊपर आया है। हालांकि, इस साल इतिहास में पहली बार ऐसा मौका भी आया जब अप्रैल में एक कार भी नहीं बिकी। लॉकडाउन और गाड़ियों की घटती डिमांड के बीच कई डीलर्स ने नुकसान की वजह से शोरूम भी बंद कर दिए। अब आने वाले दिनों ऑटो इंडस्ट्री में क्या सुधार होंगे? इसके लिए हमने फाडा (फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के नए प्रेसिडेंट विंकेश गुलाटी से बातचीत की।

सवाल: पिछले 2 महीने में ऑटो सेल्स में इजाफा हुआ है, गाड़ियों की डिमांड लगातार बढ़ रही है, इससे ऑटो इंडस्ट्री किस हद तक उबरने में कामयाब रही है?

जवाब: पिछले दो महीने सेल्स के हिसाब से काफी उत्साहपूर्ण रहे हैं। फेस्टिवल सीजन की शुरुआत और सरकार द्वारा बाजार को खुला रखने के अथक प्रयासों से ग्राहकों में काफी उत्साह देखने को मिला है। वे कस्टमर, जो वाहन खरीदने के लिए फेस्टिवल सीजन का इंतजार कर रहे थे, उन्होंने खरीददारी शुरू कर दी है। अक्टूबर, नवंबर में दीपावली व दशहरा के चलते हम बेहतर सेल की उम्मीद कर रहे हैं। कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लोगों के बीच छोटी गाड़ियों और टू-व्हीलर्स की मांग बढ़ी है। अच्छे मॉनसून और बढ़िया फसल से ग्रामीण क्षेत्रों में भी छोटे वाहन और ट्रैक्टर्स की बिक्री में इजाफा हुआ है। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह का निवेश किया जा रहा है, उससे वाहनों की बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है। अगस्त माह से शहरी बाजार में भी तेजी देखी जा रही है।

कह सकते हैं कि अब इंडस्ट्री कोविड-19 के प्रकोप से उभरने की दिशा में अग्रसर है। इस फेस्टिवल सीजन में यदि ग्राहकों की वाहन खरीददारी में रुचि बनी रहती है, तो इसका ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री पर सकारात्मक असर देखने को मिलेगा। हम अभी भी प्री-कोविड सेल्स से काफी दूर हैं। वह तभी संभव हो पाएगी, जब बैंक व एनबीएफसी ग्राहकों को ऋण देने की प्रक्रिया को पहले की तरह आसान बना देंगे।

सवाल: जिन डीलर्स की सेल्स अभी भी डाउन है, उनको फाडा की तरफ से क्या मदद मिलती है या उनके लिए फाडा की प्लानिंग क्या होती है?

जवाब: यह बहुत ही अभूतपूर्ण समय है। ऐसे समय के लिए कोई भी तैयार नहीं था. हम सबके लिए यह एक कठिन समय है और सब लोग अपनी तरह से इससे उभरने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ऑटी डीलरशिप एक ऐसा व्यवसाय है, जिस पर कोविड-19 का सबसे गहरा असर पड़ा है। ऑटो डीलरशिप बहुत-ही संकुचित मुनाफे पर काम करनेवाला व्यवसाय है और हमारे पास गाड़ी और कंपोनेंट निर्माताओं के जैसे बड़े फंड नहीं होते हैं, जिससे हमारे लिए इस मुश्किल समय से उभरना ज्यादा कठिन हो रहा है। इंडस्ट्री पहले ही 15-16 महीने के स्लोडाउन से जूझ रही थी और लॉकडाउन ने पूरी इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी। फाडा एक संगठन के तौर पर अपने डीलर मेंबर्स को हर मुमकिन सहायता देने के लिए तैयार है।

लॉकडाउन के समय फाडा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डीलरों की समस्या से अवगत कराने के लिए एक पत्र लिखा था, जिसमें डीलरशिप सर्वाइवल और डिमांड रिवाइवल की सलाह दी गयी थी। इसके अलावा वाहन निर्माता कंपनी के संगठन को एक पत्र लिख कर डीलरों की स्थिति से अवगत कराया और डीलर मार्जिन को बढ़ाने की मांग की। फाडा ने बीएस4 वाहन की बिक्री के प्रतिबंध से बचे हुए स्टॉक्स से होनेवाले नुकसान से डीलरों को बचाने का काम किया। फाडा ने सुप्रीम कोर्ट में वाहनों की बिक्री की तारीख को बढ़ाने की अर्जी लगाई। साथ ही साथ डीलरों के भविष्य को सुरक्षित करते हुए कार निर्माता कंपनियों से डीलर मार्जिन को 5% पीबीटी तक बढ़ाने एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट को 25% घटाने की मांग की। फाडा ने अपने डीलर बंधुओं के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग आयोजित की, जिसमें उन्हें सीमित संसाधनों के साथ ज्यादा-से-ज्यादा काम करने के लिए तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया।

सवाल. कोविड की वजह से कई डीलर्स को नुकसान हुआ है, यहां तक कई शोरूम बंद हो गए। ऐसे में बंद हो चुके शोरूम को फिर से ओपन कराने या फिर आने वाले दिनों में डीलर्स को राहत मिले, इसके लिए फाडा क्या कदम उठाएगा?

जवाब: जैसा कि आपको मैंने पहले ही बताया, कुछ डीलर नहीं, बल्कि सभी डीलरों को काफी नुकसान हुआ है और उन्हें इस मुश्किल दौर से उभरने में काफी कठिनाई हुई है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब इंडस्ट्री ने शून्य सेल्स दर्ज की है। छोटे मुनाफे पर काम कर रहे डीलरों को इस कठिन समय में बिना किसी कमाई के व्यापारिक खर्च जैसे - शोरूम का किराया, कर्मचारियों का वेतन, बैंक का ब्याज आदि का वहन करना पड़ा है। जहां तक डीलरशिप बंद होने का सवाल है, अभी तक ऐसा नहीं देखा गया कि डीलरशिप को बंद होना पड़ा हो. हां, कुछ आउटलेट जरूर बंद किये गये हैं, जो डीलर और कार निर्माता कंपनी की आपसी सहमति से बंद किये गए हैं और डीलरों ने पूरी कोशिश की है, कि बंद हुए आउटलेट में कार्यरत कर्मचारियों को दूसरे शोरूम में शिफ्ट कर दें।

फाडा ने जुलाई, अगस्त महीने में 'डीलर सपोर्ट सेटिस्फेक्शन सर्वे' कराया, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि 46% डीलरों को भविष्य में व्यवसाय के विकास और लॉकडाउन के बाद व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिए कार निर्माता कंपनी से सहयोग चाहिए। इसके अलावा एक और बात, जो सभी डीलरों की ओर से सामने आई, वो है डीलर प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार। हम चाहते हैं कि सभी कार निर्माता सर्वेक्षण में सामने आये तथ्यों पर गंभीरता से विचार करें, ताकी डीलर्स इस मुश्किल परिस्थिति से उभर सके।

सवाल: क्या डीलर्स अपने ग्राहकों को राहत देने या नई कार खरीदने में किसी तरह की मदद कर रहे हैं? क्या ग्राहकों को देखते हुए भी फाडा की कोई प्लानिंग है?

जवाब: ग्राहकों को उचित से उचित सुविधा देने के लिए डीलर्स हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, जिनमें सोशल डिस्टेंसिंग, गाड़ियों का सैनिटाइजेशन, शोरूम का सैनिटाइजेशन आदि का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। यहां तक कि डीलरों की ओर से गाड़ियों की ऑनलाइन बुकिंग एवं डोर स्टेप टेस्ट ड्राइव की सुविधा दी जा रही है।

हमारा डीलर मार्केट 3 से 4 प्रतिशत का है। जैसे एक 4 लाख की मारुति कार में 4% 16 हजार रुपए आता है। ऐसे में यदि किसी कस्टमर को 16 हजार में से 10 हजार रुपए का ऑफर भी कर दिया जाए, तो क्या जिस ग्राहक को कार नहीं खरीदनी है वो खरीदेगा। हांलाकि, डीलर का सपोर्ट सिस्टम काफी अच्छा होता है। जैसे कोई ग्राहक गाड़ी को खरीदने में कन्फ्यूज है तब उसको कई अलग तरह की फाइनेंस स्कीम बताकर सपोर्ट कर सकते हैं। थोड़ा बहुत डिस्काउंट तो करते ही हैं। हर डीलर चाहता है कि कोविड से पहले उसका मार्केट जैसा था वो उस स्थिति में दोबारा पहुंच जाए। ऐसे में हर डीलर यही चाहता है कि उसके पास जो भी ग्राहक आ रहा है वो कार लेकर ही जाए। फेस्टिवल सीजन में ग्राहकों को कुछ और भी डिस्काउंट मिल जाएंगे।

सवाल: कोरोना की वजह से पिछले कुछ महीनों में ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े जॉब पर भी खतरा रहा है। कौन-से ऑटो सेक्टर में लोगों ने ज्यादा नौकरियां गंवाई हैं। ऑटो सेक्टर में जॉब के लिए क्या प्लानिंग है?

जवाब: कोरोना ने ऑटो सेक्टर ही नहीं, बल्कि सभी सेक्टरों की नौकरियों को प्रभावित किया है। जहां तक डीलरशिप बिजनेस का सवाल है, हमारे पास अभी तक ऐसी कोई खबर नहीं आई है। हर डीलर के लिए उसका मैनपावर महत्वपूर्ण होता है। हर डीलर अपने मैनपावर की ग्रूमिंग और ट्रेनिंग पर काफी समय इन्वेस्ट करता है। ऐसे में किसी को भी निकालना उसके लिए कठिन होता है। फेस्टिवल सीजन ऐसा समय होता है, जिसमें हर डीलर मैक्सिमम बिजनेस करना चाहता है, जो इन प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा ही संभव है।

हमारी इस फेस्टिवल सीजन से बहुत अपेक्षाएं हैं। हम जिस तरह की फेस्टिवल सेल्स की उम्मीद कर रहे हैं, यदि वैसी सेल्स नहीं हुई, तो डीलरों के पास कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा और नौकरियों का नुकसान होगा। एक गाड़ी के बिकने से कई तरह के रोजगार को बढ़ावा मिलता है, जिनमें मैन्युफैक्चरिंग, सेल्स, फाइनेंस, सर्विसिंग, स्पेयर पार्ट्स, ड्राइवर आदि शामिल हैं।

सवाल: इस साल कई चीनी कंपनियां भारत में डेब्यू करने वाली थीं, लेकिन कोविड की वजह से इसमें देरी हो गई? अब जब देश में चीन का विरोध हो रहा है तो क्या ये कंपनियां भारत में आएंगी?

जवाब: देश में ओपन इकॉनमी है। किसी भी चीज को बंद नहीं किया जा सकता। कोविड की वजह से थोड़ा डिले हो सकता है। मुझे लगता है की चीनी कंपनियां देश में आएंगी इसमें एक साल का वक्त लग सकता है। GWM ने तो GM की मशीन खरीदने की बात भी फाइनल कर ली थी, उन्होंने डीलर्स से भी बात कर ली थी। ऐसे में उनके सामने भी बड़ा चैलेंज इस बात का है कि जितना हाइक MG जैसी कंपनियों को मिला है उतना इन्हें नहीं मिलेगा।

अभी चीनी कंपनियों को लेकर सोशल मीडिया पर निगेटिविटी फैल रही है। ऐसे में अभी चीनी कंपनियां अपनी लॉन्चिंग या भारत में एंट्री को डिले कर रही हैं। अभी कोई चीनी कंपनी आती है तब डीलर्स भी उनके लिए अप्लाई करने में सोचेंगे।

सवाल: देश में अब इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियां बढ़ रही हैं और इनकी डिमांड भी बढ़ रही है। तो क्या देश इसके लिए तैयार है? हालांकि, देश में इसका इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी तैयार नहीं है।

जवाब: इसे लेकर हमारी सरकार और मैन्युफैक्चरर्स दोनों से चर्चा चल रही है। जितने भी अपने मेट्रो और बड़े टाउन के डीलर्स हैं वहां पर टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियों ने अपने चार्जिंग स्टेशन बना दिए हैं। हम लोग इस बात पर पुश कर रहे हैं जिन लोकेशन पर बड़े पेट्रोल पंप हैं वहां पर भी सरकार चार्जिंग स्टेशन बना दे। ऐसे में मिनिमम 6 महीने से सालभर में इंफ्रास्ट्रक्चर बेस लेवल पर पहुंच जाएगा।

आज की तारीख में कोई भी प्राइवेट कार अधिकतम 100 किलोमीटर का सफर तय करती है। क्योंकि ज्यादातर लोग कार से ऑफिस ही जाते हैं। ऐसे में कोई भी इलेक्ट्रिक कार खरीदता है तो वो घर में चार्जिंग स्टेशन बनाता है। गाड़ी का चार्जिंग स्टेशन से ज्यादा समस्या गाड़ी की कीमत, रेंज और उसकी डीलरशिप की है।

जैसे, आज आप दिल्ली में टाटा नेक्सन इलेक्ट्रिक खरीद सकते हैं, लेकिन कानपुर में खरीदना चाहें तो क्या वहां पर डीलरशिप है। इस बारे में सोचना पड़ेगा। इसके साथ यूपी में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सब्सिडी मिल रही है, इस बारे में भी सोचना पड़ेगा। दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए पॉलिसी अच्छी बनाई है, लेकिन सभी हर स्टेट की सरकार ने ऐसी पॉलिसी नहीं बनाई हैं।

जब तक इलेक्ट्रिक गाड़ियों कंपनी के सभी डीलर्स के पास नहीं मिलेंगी, तब तक उसकी सेल में इजाफा नहीं हो पाएगा। क्योंकि कोई ग्राहक पटना का रहने वाला है और दिल्ली से इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदता है तब वो हर बार उसकी सर्विसिंग या किसी दूसरे काम के लिए दिल्ली नहीं आएगा। ऐसे में इस काम के लिए 1 साल लग जाएगा।

सवाल: ऑटो इंडस्ट्री की ग्रोथ को लेकर आने वाले महीनों में क्या कदम उठाएंगे?

जवाब: ऑटो इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए सरकार को उचित कदम उठाने होंगे। ऑटो मोबाइल इकोसिस्टम के साथ मिलकर काम करना होगा। अर्थव्यवस्था और ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री की तरफ उपभोक्ता के विश्वास को वापस लाने की दिशा में काम करना होगा। ऑटो मोबाइल के सभी स्तंभों को मजबूत बनाना होगा, जिसमें डीलर कम्युनिटी एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। सरकार को उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक प्रोत्साहन आधारित पैकेज लाने होंगे, जिनमें दो पहिया वाहनों पर जीएसटी दर को 28 से 18% तक कम करना, अगले छह महीनों तक रोड टैक्स पर 50% फीसदी तक की छूट देना, आर्कषक स्क्रैपेज पॉलिसी लाना आदि शामिल हैं।

सवाल: अपने कार्यकाल में आप ऑटो और डीलर इंडस्ट्री के नया क्या करेंगे?

जवाब: फाडा प्रेसिडेंट के रूप में कार्यभार संभालने के साथ ही मैंने एक प्राथमिकता सूची तैयार की है, जिस पर मैं आगे काम करना चाहूंगा। आनेवाला समय बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। हमें डीलरशिप बिजनेस, जो लगभग चार लाख से ज्यादा लोगों को बिना उनके आधार स्थान को बदले प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मुहैया कराता है। हम रोजगार को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास करते रहेंगे।

ऑटो मोबाइल डीलर इंडस्ट्री इन विपरीत परिस्थितियों से उभरने की कोशिश कर रही है। इसके आगे हम चाहते हैं कि हम डीलरशिप बिजनेस को भविष्य में ऐसी परिस्थिति के लिए पहले से तैयार रखें, जिसके लिए डीलरशिप बिजनेस को प्रोफिटेबल बनाना बहुत जरूरी है। इसके लिए हमने कुछ सुझाव दिए हैं -

  • फ्रेंचाइजी एक्ट की शुरुआत: फाडा दूसरी रिटेल एसोसिएशंस के साथ फ्रेंचाइजी लॉ को भारत में लाने के लिए काम करेगा, जिससे की सभी क्षेत्रों में डीलर/रिटेल फर्टिनिटी को एक्जिट या टर्मिनेशन की परिस्थिति में मदद मिलेगी। कई विदेशी कंपनियां चोरों की तरह चुपके से देश छोड़ जाती हैं। इस एक्ट जैसे ही लागू हो जाएगा तब कोई भी कंपनी आसानी से देश छोड़कर नहीं जा पाएगी। इससे 50 लाख रिटेलर्स को फायदा मिलेगा। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब भी कोई बाहर की कंपनी देश छोड़कर जाती है तब उसे महीनेभर पहले अपनी डीलर्स को नोटिस देना होगा। साथ ही डीलर्स और कस्टमर के प्रति उनकी जो ड्यूटी है उसे पूरा करना होगा। जैसे मान लीजिए मैंने किसी विदेशी कंपनी से गाड़ी खरीदी जिस पर उसने 2 साल की वारंटी दी है। हालांकि, सरकार का कहना है कि गाड़ी की 15 साल तक रोड़ वर्किंग होना चाहिए। ऐसे में वो कंपनी एक साल देश छोड़कर चला जाए तब ग्राहक ने जो कार खरीदी है वो उसके मेंटेनेंस के लिए किसके पास जाएगा? ऐसे में उस कंपनी को मैन्युफैक्चर बंद करने के बाद भी मेंटेनेंस का ध्यान रखना होगा। ऐसे में ड्यूटी फ्रेंचाइजी एक्ट उसे डिफाइन करेगा।
  • डीलर मार्जिन में सुधार: डीलर मार्जिन एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिसके लिए हम अलग-अलग मैन्युफैक्चरर्स और उनके एसोसिएशन से बात कर रहे हैं। एक भारतीय डीलर औसतन 0.50% से 0.75% नेट प्रॉफिट ऑफ टोटल टर्नओवर पर काम करता है, जो वैश्विक मानक (7% ऑफ द सेलिंग प्राइस ऑफ द व्हीकल) से बहुत कम है।
  • ऑटो डीलरशिप व्यवसाय को एमएसएमई के तहत रजिस्ट्रेशन: एमएसएमई के तहत रजिस्ट्रेशन से ऑटो डीलर समुह को एमएसएमई एक्ट के अंतर्गत मिलने वाली सुविधाओं से काफी सहयोग मिलेगा।
  • एक्सक्लूजिव टू-व्हीलर वर्टिकल इन फाडा: दो पहिया वाहन, वाहन बिक्री का लगभग 75% हिस्सा है, उसके लिए फाडा में एक अलग वर्टिकल होगा, जो विशेष रूप से टू-व्हीलर डीलरशिप की बारीकियों जैसे कि सब-डीलर और ब्रोकर, पर काम करेगा।


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Auto Sector Crisis: Vinkesh Gulati Interview With Dainik Bhaskar | Federation of Automobile Dealers Associations (FADA) President Vinkesh Gulati Speaks On Auto Sector Crisis


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पावर ही नहीं डायमेंशन और फीचर्स के मामले में क्लासिक 350 से कहीं आगे हैं नई होंडा हाईनेस सीबी 350, देखें आपके लिए दोनों में से कौन बेहतर

लंबे इंतजार के बाद फाइनली होंडा मोटरसाइकिल ने 30 सितंबर को भारत में अपनी पहली क्रूजर मोटरसाइकिल हाईनेस (H’ness) CB 350 लॉन्च की। इसी के साथ कंपनी ने 300-350 सीसी कैटेगरी में एंट्री भी की। भारत में इसका सीधा मुकाबला रॉयल एनफील्ड 350 से देखने को मिलेगा, वैसे को क्लासिक 350 सीसी किसी पहचान की मोहताज नहीं, भारत में काफी भी पॉपुलर है लेकिन होंडा की नई क्रूजर अपनी बेहतरीन इक्विपमेंट लिस्ट और फर्स्ट-इन-सेगमेंट फीचर्स से भविष्य में एनफील्ड की मुश्किलें बढ़ा सकती है। पढ़िए इसका डिटेल कम्पेरिजन और खुद तय कीजिए आपके लिए कौन सी बेहतर है...

डायमेंशन में कौन आगे?

  • डायमेंशन की बात करें तो, हाल ही में लॉन्च हुई नई होंडा हाईनेस सीबी 350 की लंबाई 2163 मिमी, चौड़ाई 800 मिमी, ऊंचाई 1107 मिमी, व्हीलबेस 1441 मिमी और ग्राउंड क्लीयरेंस 166 मिमी है। इसके विपरीत रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 की लंबाई 2180 मिमी, चौड़ाई 790 मिमी, ऊंचाई 1090 मिमी, व्हीलबेस 1390 मिमी और ग्राउंड क्लीयरेंस 135 मिमी है।
  • इसका मतलब है कि हाईनेस 10 मिमी चौड़ी, 17 मिमी लंबी है और क्लासिक 350 की तुलना में इसमें 51 मिमी लंबा व्हीलबेस है। सिर्फ लंबाई-चौड़ाई नहीं क्लासिक 350 की तुलना में हाईनेस में 31 मिमी एडिशनल ग्राउंड क्लीयरेंस है।
मोटरसाइकिल होंडा हाईनेस सीबी 350 क्लासिक 350
लंबाई 2163 मिमी 2180 मिमी
चौड़ाई 800 मिमी 790 मिमी
ऊंचाई 1107 मिमी 1090 मिमी
व्हीलबेस 1441 मिमी 1390 मिमी
ग्राउंड क्लीयरेंस 166 मिमी 135 मिमी

कौन ज्यादा पावरफुल?

  • हाईनेस सीबी 350 में एक नया 348.36 सीसी सिंगल-सिलेंडर एयर-कूल्ड लॉन्ग-स्ट्रोक इंजन है जो 5500 आरपीएम पर 20 एचपी का पावर और 3000 आरपीएम पर 30 एनएम का पीक टॉर्क जनरेट करता है। कंपनी का दावा है कि यह अपनी क्लास की सबसे ज्यादा टॉर्क पैदा करने वाली मोटरसाइकिल है। इसके इंजन को 5-स्पीड गियरबॉक्स के साथ जोड़ा गया है।
  • क्लासिक 350 में 346 सीसी का सिंगल-सिलेंडर एयर-कूल्ड इंजन है, जो 19 एचपी का पावर और 28 एनएम का पीक टॉर्क जनरेट करता है। इसे भी 5-स्पीड गियरबॉक्स के साथ जोड़ा गया है। यह वही इंजन है जो रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 में भी मिलता है।
मोटरसाइकिल होंडा हाइनेस सीबी 350 क्लासिक 350
इंजन 348.36 सीसी, सिंगल-सिलेंडर, एयर-कूल्ड, फ्यूल इंजेक्टेड 346 सीसी, सिंगल-सिलेंडर, एयर-कूल्ड, फ्यूल इंजेक्टेड
पावर 20HP 19HP
टॉर्क 30Nm 28Nm
ट्रांसमिशन 5-स्पीड 5-स्पीड

कौनसे प्लेटफार्म पर बेस्ड हैं बाइक्स?

  • हाईनेस सीबी 350 को एक स्प्लिट हाफ डुप्लेक्स फ्रेम पर बनाया गया है, जिसे फ्रंट में एक टेलिस्कोपिक फोर्क सस्पेंशन के साथ जोड़ा गया है, साथ ही रियर में ट्विन शॉक एब्जॉर्बर भी दिया गया है। रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 में एक सिंगल डाउनस्क्रीन फ्रेम मिलता है, और सस्पेंशन सेटअप में आगे की तरफ एक टेलिस्कोपिक फोर्क दिया गया है, साथ ही पीछे की तरफ ट्विन प्रीलोड एडजस्टेबल गैस-चार्ज शॉक एब्जॉर्बर मिलता है।
  • दोनों ही बाइक्स में डुअल-चैनल एबीएस के साथ डुअल डिस्क ब्रेक दिए गए हैं, हालांकि, रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 का अधिक किफायती सिंगल-डिस्क वैरिएंट भी उपलब्ध है।

इक्विपमेंट लिस्ट किसकी बेहतर?

  • हाईनेस सीबी 350 में एक एलईडी हेडलैम्प, अलॉय व्हील्स और सेमी-डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर के साथ छोटा डिजिटल डिस्प्ले दिया गया है, जो दो ट्रिप मीटर, एक ओडोमीटर, फ्यूल गेज, एक घड़ी और एक गियर पोजिशन इंडिकेटर की तरह प्रदर्शित होता है। इसके अलावा, यदि आप टॉप DLX प्रो वैरिएंट के लिए जाते हैं, तो आपको सेगमेंट-फर्स्ट ब्लूटूथ कनेक्टिविटी मिलती है जो टेलीफोनी, नेविगेशन के साथ-साथ म्यूजिक कंट्रोल को भी सक्षम बनाती है।
  • रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 में केवल एक बेसिक एनालॉग इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और साथ ही हैलोजन हेडलैंप मिलता है। हालाकि, क्लासिक 350 का स्टेल्थ ब्लैक वैरिएंट भी पेश करती है जिसमें ब्लैक अलॉय व्हील्स और ट्यूबलेस टायर्स मिलते हैं।

किसकी कितनी कीमत?

  • होंडा हाईनेस सीबी 350 को दो वैरिएंट, DLX और DLX प्रो में बेची जाएगी, हालाकि अभी इन दोनों वैरिएंट की सही कीमतों का ऐलान करना बाकी है। फिलहाल, कंपनी ने यह बताया है कि इनकी कीमत 1.90 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) के आसपास है।
  • दूसरी तरफ, रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 की शुरुआती कीमत 1.61 लाख रुपए है, जो टॉप-एंड डुअल-चैनल एबीएस वैरिएंट (दोनों कीमतें, एक्स-शोरूम दिल्ली) के लिए 1.86 लाख रुपए तक जाती है।

कौन बेहतर

  • नई होंडा हाईनेस सीबी 350 निश्चित रूप से एक आकर्षक मोटरसाइकिल है जो अपनी प्रीमियम इक्विपमेंट लिस्ट के साथ ही अधिक टॉर्क जनरेट करने वाले इंजन से लैस है। इसके अलावा इसमें अतिरिक्त ग्राउंड क्लीयरेंस है, यानी खराब रास्तों पर भी इसमें बेहतर राइड एक्सपीरियंस मिलेगा।
  • दूसरी ओर, रॉयल एनफील्ड राइडिंग कम्युनिटी बहुत सारे खरीदारों को आकर्षित करती है और क्लासिक 350 ने पहले ही काफी पॉपुलर है। इसलिए, इसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है।


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हाईनेस सीबी 350 में 348.36 सीसी इंजन है, जो 20 एचपी का पावर और 30 एनएम का पीक टॉर्क जनरेट करता है। होंडा का दावा है कि यह अपनी क्लास की सबसे ज्यादा टॉर्क पैदा करने वाली मोटरसाइकिल है।


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मारुति के लिए फिर आई गुड न्यूज, बीते महीने हर दिन औसतन 5348 कार बेची; टोयोटा और एमजी के सेल्स में आई इतनी गिरावट

कोविड-19 के बीच ऑटो सेल्स की रफ्तार अब तेजी से बढ़ रही है। नेशनल लॉकडाउन के बाद अब हर महीने ऑटो सेल्स के आंकड़े बेहतर हो रहे हैं। हालांकि, कुछ कंपनियों के सेल्स अभी भी डाउन है। बीते महीने यानी सितंबर में मारुति सुजुकी के सेल्स आंकड़ों में 30 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखन को मिली। हालांकि, टोयोटा और एमजी जैसी कंपनियों की सेल्स इस दौरान डाउन रही। कोविड-19 पीरियड के दौरान साल में पहली बार अगस्त 2020 में पैसेंजर व्हीकल सेल्स (PV) में बढ़ोतरी हुई थी। आइए सभी कंपनियों के सितंबर के सेल्स आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं।

मारुति सुजुकी: 1,60,442 यूनिट, 30.8% ग्रोथ
मारुति सुजुकी ने साल-दर-साल के आधार पर सितंबर में 30.8% की ग्रोथ दर्ज की है। कंपनी सितंबर महीने में 1,60,442 यूनिट सेल की। बीते साल इसी महीने में उसने 1,22,640 यूनिट बेची थी। यानी कंपनी ने 37,802 यूनिट ज्यादा बेची। इस आकंड़ों को यूं भी समझा जा सकता है कि मारुति ने सितंबर में हर दिन औसतन 5348 यूनिट बेची।

  • पिछले महीने घरेलू बिक्री 32.2 प्रतिशत बढ़कर 1,52,608 यूनिट हो गई, जबकि सितंबर 2019 में 1,15,452 यूनिट थी। ऑल्टो और एस-प्रेसो जैसी मिनी कारों की बिक्री पिछले साल के इसी महीने में 20,085 यूनिट की तुलना 35.7 प्रतिशत बढ़कर 27,246 यूनिट रही।
  • कॉम्पैक्ट कार सेगमेंट की बिक्री, जिसमें स्विफ्ट, सेलेरियो, इग्निस, बलेनो और डिजायर जैसे मॉडल शामिल हैं, पिछले साल सितंबर में 57,179 कारों की तुलना में 47.3 प्रतिशत बढ़कर 84,213 यूनिट हो गई।
  • मिड-साइज सेडान सियाज की बिक्री पिछले साल सितंबर में 1,715 यूनिट की तुलना में 10.6 प्रतिशत घटकर 1,534 यूनिट हो गई। विटारा ब्रेजा, एस-क्रॉस और अर्टिगा सहित यूटिलिटी वाहनों की बिक्री 10.1 प्रतिशत बढ़कर 23,699 यूनिट हो गई, जो पिछले साल सितंबर में 21,526 थी।
  • कंपनी ने कहा कि सितंबर में निर्यात 9 प्रतिशत बढ़कर 7,834 यूनिट हो गया, जो पिछले साल इसी महीने में 7,188 यूनिट था। दूसरी तिमाही में 3,93,130 यूनिट की कुल बिक्री के साथ कंपनी ने पिछले वर्ष की इसी अवधि में 16.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।

एमजी मोटर: 2,537 यूनिट, 2.72% गिरावट
एमजी मोटर ने साल-दर-साल के आधार पर सितंबर में 2.72% की गिरावट दर्ज की है। कंपनी सितंबर महीने में 2,537 यूनिट सेल की। बीते साल इसी महीने में उसने 2,608 यूनिट बेची थी। यानी कंपनी ने 71 यूनिट कम बेची।

एमजी मोटर इंडिया के डायरेक्टर सेल्स राकेश सिडाना ने एक बयान में कहा, "जहां एमजी हेक्टर और जेडएस ईवी के लिए बुकिंग लगातार बढ़ रही है, वहीं सितंबर में श्राद्ध के कारण रिटेल सेलिंग बुरी तरह प्रभावित हुई है।" उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी सीजन में हमें बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

टोयोटा: 8,116 यूनिट, 20.45% गिरावट
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने साल-दर-साल के आधार पर सितंबर में 20.45% की गिरावट दर्ज की है। कंपनी सितंबर महीने में 8,116 यूनिट सेल की। बीते साल इसी महीने में उसने 10,203 यूनिट बेची थी। यानी कंपनी ने 2,087 यूनिट कम बेची। हालांकि, अगस्त की तुलना में इसका होलसेल 46 फीसदी तक बढ़ गया। अगस्त में कंपनी ने 5,555 यूनिट्स बेची थीं।

कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट (सेल्स एंड सर्विस) नवीन सोनी ने कहा, "हम पिछले कुछ महीनों की तुलना में मांग में वृद्धि और हमारे डीलरों में बहुत अधिक विश्वास देख रहे हैं, जिससे पिछले कुछ महीनों की तुलना में 14 से 18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। सितंबर अब तक का हमारा सबसे अच्छा महीना रहा है।"

बजाज ऑटो: 4,41,306 यूनिट, 10% ग्रोथ
बजाज ऑटो ने साल-दर-साल के आधार पर सितंबर में 10% की ग्रोथ दर्ज की है। कंपनी सितंबर महीने में 4,41,306 यूनिट सेल की। बीते साल इसी महीने में उसने 4,02,035 यूनिट बेची थी। यानी कंपनी ने 39,271 यूनिट ज्यादा बेची।

पिछले महीने घरेलू बिक्री 6 प्रतिशत बढ़कर 2,28,731 यूनिट हो गई, जबकि सितंबर 2019 में 2,15,501 यूनिट थी। कंपनी ने कहा कि सितंबर में निर्यात 14 प्रतिशत बढ़कर 2,12,575 यूनिट हो गया, जो पिछले साल इसी महीने में 1,86,534 यूनिट था।

अगस्त में 20% की बढ़ोतरी रही


ऑटो कंपनियों ने अगस्त 2020 में 2,34,376 यूनिट्स की बिक्री की, पिछले साल इसी अवधि में 1,95,800 यूनिट्स की बिक्री हुई थी। यानी इसमें 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। अगस्त से पैसेंजर व्हीकल की डिमांड में तेजी देखने को मिली है। इससे इस बात का भी पता चल रहा है कि महामारी का प्रभाव बाजार से कम हो रहा है।

नोट: ऑटो कंपनियों द्वारा सेल्स डेटा रिलीज होने के बाद इस खबर को अपडेट किया जाएगा।



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