देशभर में आज 1 अप्रैल 2002 से नए उत्सर्जन मानक भारत स्टेज6 यानी बीएस6 लागू हो गया है। अभी तक देशभर में बीएस4 उत्सर्जन मानक लागू था। इसके बाद बीएस5 को छोड़कर भारत में सीधे बीएस6 एमिशन नॉर्म्स लागू कर दिए गए हैं। बीएस6 लागू होने से आम लोगो की जिंदगी कुछ हद तक सीधे तौर पर प्रभावित होगी। जैसे कि वाहनों से कम हानिकारक मात्रा में प्रदूषक तत्व निकलेंगे। हालांकि बीएस6 वाहनों की कीमत बीएस4 के मुकाबले ज्यादा होगी।
पहली बार साल 2000 लागू हुआ उत्सर्जन मानक
भारत में सबसे पहले भारत स्टेज को साल 2000 में लागू किया गया था। इससे पहले तक भारत में कार्बन उत्सर्जन को लेकर कोई मानक तय नहीं था। बीएस को यूरोपियन कार्बन उत्सर्जन मानक यूरो की तर्ज पर भारत में लागू किया गया था। मौजूदा वक्त में देशभर में बीएस4 कार्बन उत्सर्जन मानक लागू है। हालांकि अब अप्रैल 2020 में अगला उत्सर्जन मानक बीएस6 लागू हुआ। भारत सरकार ने एक स्टेज छोड़कर बीएस4 के बाद सीधे बीएस6 लागू किया है। ऐसा करने के पीछे गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण के स्तर में कमी लाने को वजह बताया गया है।
सल्फर के उत्सर्जन में कमी लाना
हर एक उत्सर्जन मानक में पेट्रोल और डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के साथ सल्फर की मात्रा को कम करना होता है। बीएस3 स्टैंडर्ड के तहत पेट्रोल गाड़ियां 150 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम सल्फर उत्सर्जित कर सकती थी। जो बीएस6 में घटकर 10 मिलीग्राम प्रति किग्रा हो गया है। इसी तरह डीजल गाड़ियां बीएस3 स्टैंडर्ड नॉर्म्स के तहत 350 मिलीग्राम प्रति किग्रा सल्फर उत्सर्जित कर सकती थी, जिसकी मात्रा घटकर 10 मिलीग्राम प्रति किग्रा हो गई है।
सल्फर उत्सर्जन | BS3 (mg/kg) | BS4 (mg/kg) | BS6 (mg/kg) |
पेट्रोल | 150 | 50 | 10 |
डीजल |
भारत स्टेज नॉर्म्स कब लागू हुआ
भारत में साल 2000 के बाद से बीएस नार्म्स एक साथ कभी लागू नहीं हुए। इन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया। पहले मेट्रो और कुछ चुनिंदा शहरों में इन्हें लागू किया गया। इसके बाद टीयर2 और टीयर3 शहरों में लागू किए जाते रहे हैं। हालांकि साल अब साल 2020 में फिर से पूरे देश में एक साथ बीएस6 इमीशन एक साथ देशभर में लागू किया जा रहा है।
- बीएस1 को साल 2000 में देशभर में एक साथ लागू किया गया।
- बीएस2 को चरणबद्ध तरीके से सबसे पहले दिल्ली एनसीआर, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में लागू किया गया। इसके बाद अप्रलै 2003 में बीएस2 को 13 अन्य शहरों में लागू किया गया
- बीएस3 को अप्रैल 2005 में दिल्ली एनसीआर समेत 13 शहरों में लागू किया गया। इसके बाद अप्रैल 2010 में इसे देशभर में लागू कर दिया गया।
- बीएस 4 को अप्रैल 2010 में दिल्ली एनसीआर समेत देश के चुनिंदा 13 शहरों में लागू किया गया। इसके बाद अप्रैल 2017 में इसे देशभर में लागू किया गया है।
- बीएस 5 को छोड़कर सीधे बीएस 6 लागू किया गया।
- बीएस 6 को अप्रैल 2020 में देशभर में लागू किया जा रहा है।
- बीएस4 और बीएस 6 में क्या अंतर
- बीएस4 इमीशन नार्म्स के तहत वाहन के इंजन को इस हिसाब से डिजाइन किया जाता है कि उससे निकलने वाले धुएं से सल्फर की मात्रा भारत सरकार के तय पैमाने के आधार पर निकले। इसके लिए कम सल्फर वाले ईंधन (डीजल) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए सरकार की तरफ से ईंधन का ग्रेड तय किया जाता है।
ग्रेड आधारित ईंधन
बीएस6 ईंधन देशभर में एक अप्रैल 2020 से मिलना शुरू हो गया है। बीएस-6 नियम आने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे पहले 1 अप्रैल 2017 से ही पेट्रोलियम मंत्रालय ने पूरे देश में बीएस-IV ग्रेड के पेट्रोल और डीजल की बिक्री शुरू किया था। भारत की सबसे बड़ी ऑयल फर्म इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (OIL) ने बीएस6 उत्सर्जन मानक वाले फ्यूल की सप्लाई शूरू कर दी है। बीएस6 पेट्रोल-डीजल दुनिया का सबसे स्वच्छ ईंधन है। आईओसी बीएस6 फ्यूल सप्लाई करने वाली पहली कंपनी बन गई है। बीएस 6 फ्यूल को पूरा देश 1 अप्रैल से अपनाएगा। आईओसी ने दो हफ्ते पहले ही 28000 पेट्रोल पंपों पर इस फ्यूल की सप्लाई शुरू कर दी है। बीएस 6 मानक वाले पेट्रोल डीजल में बहुत कम मात्रा में सल्फर होता है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए कम खतरनाक होता है।
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