एपल ने अपनी लेटेस्ट आईफोन 12 सीरीज में आईफोन 12, आईफोन 12 प्रो, आईफोन 12 प्रो मैक्स और आईफोन 12 मिनी को पिछले महीने एक वर्चुअल इवेंट में लॉन्च किया था। एपल के फोन अपनी कीमतों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन आईफोन को बनाने में कितना खर्च होता है?
खैर, टोक्यो बेस्ड रिसर्च स्पेशलिस्ट फोमलहौत टेक्नो सॉल्यूशंस के सहयोग से निक्केई की एक नई रिपोर्ट में आईफोन 12 के साथ-साथ आईफोन 12 प्रो के लिए बिल ऑफ मटेरियल (बीओएम) का खुलासा किया गया है।
आईफोन 12/12 प्रो: भारत में कीमत
भारत में आईफोन 12 की कीमत 79,900 रुपए से शुरू होती है जबकि आईफोन 12 प्रो की कीमत 1,19,900 रुपए से शुरू होती है। ये दोनों डिवाइस देश में बिक्री के लिए पहले से ही उपलब्ध हैं।
27500 रु. है आईफोन 12 बनाने की लागत-रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, दोनों फोन के लिए बिल ऑफ मटेरियल (बीओएम) से पता चलता है कि आईफोन 12 को बनाने में $373 (लगभग 27,500 रुपए) का खर्च आता है, जबकि आईफोन 12 प्रो को बनाने में $406 (लगभग 30,000 रुपए) का खर्च आता है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कई सारे ओवरहेड शुल्क हैं जिसके बाद रिटेल प्राइस तय किया जाता है।
यह है फोन के सबसे महंगे पार्ट्स
रिपोर्ट से पता चलता है कि आईफोन 12 और आईफोन 12 प्रो के सबसे महंगे पार्ट्स में क्वालकॉम X55 5G मोडेम, सैमसंग द्वारा बनाया जाने वाला OLED डिस्प्ले, सोनी द्वारा बनाया कैमरा सेंसर और A14 बायोनिक चिप है।
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इतनी है आईफोन 12/12 प्रो में लगने वाले पार्ट की कीमत
- रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि क्वालकॉम X55 5G मोडेम की कीमत लगभग $90 (लगभग 6,656 रुपए), OLED डिस्प्ले लगभग $70 (लगभग 5177 रुपए) और कैमरा सेंसर $5.40- $7.40 (लगभग 399 से 547 रुपए) प्रति यूनिट के बीच है।
- अंत में, आईफोन 12 और 12 प्रो को पावर देने वाली A14 बायोनिक चिप की कीमत कथित तौर पर $40 (लगभग 2958 रुपए) है, जिसमें सैमसंग द्वारा दी जाने वाली रैम और मेमोरी चिप की कीमत क्रमशः $12.8 (लगभग 946 रुपए) और $19.2 (लगभग 1420 रुपए) प्रति यूनिट है।
- रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नए कंपोनेंट के लिए अतिरिक्त स्थान देने के लिए आईफोन 12 सीरीज की बैटरी कैपेसिटी में 10 प्रतिशत की कटौती की गई है।
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कंपोनेंट उपलब्ध कराने में साउथ कोरिया सबसे आगे
रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि दक्षिण कोरिया के कंपोनेंट प्रोवाइडर्स की उत्पत्ति में 26.8 प्रतिशत की हिस्सेदारी है जबकि अमेरिका और यूरोप की 21.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। गौर करने वाली बात यह है कि कंपोनेंट शेयर में चीन की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से कम है। अन्य देश जहां से कंपोनेंट तैयार होते हैं, वे क्रमशः 13.6 प्रतिशत और 11.1 प्रतिशत के साथ जापान और ताइवान हैं।
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