Friday 27 November 2020

बिना सोचे अनजान ईमेल पर जानकारी देना पड़ सकता है भारी, असली और नकली ईमेल की ऐसे करें पहचान

महामारी और लॉकडाउन के इस दौर में सुरक्षा के लिहाज से अधिकतर प्रोफेशनल्स अपने ऑफिस का काम घर से निपटा रहे हैं। इस दौरान वे पहले से ज्यादा समय भी इंटरनेट पर बिता रहे हैं और इसी का फायदा उठाने के लिए साइबर अपराधी पर सक्रिय है, ताकि इस मौका का फायदा उठाया जा सके।

बैंक धोखाधड़ी के मामलों में भी लगातार इजाफा हो रहा है, रोजाना कई मामले सुनने को मिल रहे हैं। इसलिए सुरक्षा पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो गया है। हैकर्स कई तरह से लोगों को निशाना बना रहे हैं और सबसे ज्यादा जो तरीका इस्तेमाल किया जा रहा है, वह है फिशिंग (Phishing)।

फिशिंग (Phishing) क्या है?
फिशिंग वैश्विक समस्या है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के बैंक इसका सामना कर रहे हैं। फिशिंग एक ईमेल हो सकता है जो किसी मशहूर संस्थान जैसे बैंक या लोकप्रिय वेबसाइट सा लग सकता है। यह ध्यान रखें कि बैंक कभी भी गोपनीय जानकारी जैसे लॉगइन और ट्रांजैक्शन पासवर्ड, वन टाइम पासवर्ड (OTP), यूनिक रेफरेंस नंबर (URN) के बारे में आपसे नहीं पूछेगा।

यह कैसे होती है?

  • साइबर अपराधी किसी प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थान या लोकप्रिय शॉपिंग वेबसाइट के समान फर्जी पेज बना लेते हैं।
  • फिर यूजर्स को बल्क में ई-मेल भेजे जाते हैं, जिनमें उनकी निजी जानकारी जैसे अकाउंट डिटेल, पासवर्ड आदि पूछे जाते है।
  • जब यूजर लिंक पर क्लिक करता है, तो नकली वेबसाइट ओपन हो जाती है, या जिस समय यूजर ऑनलाइन होता है, तो इन सेशन पॉप-अप के जरिए एक फॉर्म आता है।
  • इसे अपडेट करने पर डेटा अपराधियों के पास चला जाता है, जिसके बाद यूजर असली वेबसाइट की ओर रिडायरेक्ट हो जाएगा।

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फिशिंग की पहचान कैसे करें?

  • अनचाहे ई-मेल, अनजान लोगों से फोन या वेबसाइट जिन पर गोपनीय बैंकिंग डिटेल्स के बारे में पूछा जा रहा है।
  • सुरक्षा कारणों की वजह से तुरंत कार्रवाई के लिए कहने वाले मैसेज।
  • ईमेल में आए लिंक जिसमें वेबसाइट का एक्सेस दिया जाता है।
  • सही वेबसाइट को चेक करने के लिए, लिंक पर करसर ले जाइए या https:// को चेक करें जहां 's' का मतलब सुरक्षित साइट होता है।
  • अपराधी किसी मशहूर बैंक के इमेल एड्रेस, डोमेन नेम, लोगो आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे फर्जी ईमेल को हूबहू असली साइट जैसा लुक दिया जाता है।
  • ऐसे फर्जी ईमेल हमेशा सामान्य तरीके से संबोधित करता है जैसे 'डियर नेट बैंकिंग कस्टमर' या 'डियर बैंक कस्टमर'। जबकि बैंक के प्रमाणित ईमेल हमेशा आपको नाम से संबोधित करेंगे जैसे डियर मिस्टर अर्पित सोनी।
  • ऐसा बहुत होता है कि फर्जी ईमेल बुरी तरह से लिखे होते हैं और उसमें स्पेलिंग या ग्रामर की गलती हो सकती है।
  • ऐसे फर्जी ईमेल हमेशा आपको लिंक पर क्लिक करने या अपनी अकाउंट की गोपनीय जानकारी को अपडेट करने के लिए कहेंगे।
  • फर्जी ईमेल में दिए लिंक कई बार सही लग सकते हैं लेकिन जब उसके ऊपर कर्सर या प्वॉइंटर ले जाएंगे, तो उसमें नीचे फर्जी वेबसाइट का लिंक या यूआरएल दिया हो सकता है।

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फिशिंग वैश्विक समस्या है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के बैंक इसका सामना कर रहे हैं। (फोटो क्रेडिट-गूगल)


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