गैजेट डेस्क. डाउनलोड होते ही ऐप यूजर्स से फोटो-वीडियो, कॉन्टैक्ट, मैसेज जैसी पर्सनल जानकारियों की एक्सेस मांगते हैं और हम जाने-अनजाने में उन्होंने एक्सेस दे भी देते हैं। लेकिन इस लापरवाही का खामियाजा तब भुगतना पड़ता है जब किसी हैकर के हाथ में यूजर की निजी जानकारियां लग जाती है। साइबरसिक्योरिटी फर्म कैसपर्सकी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि किसी संवेदनशील ऐप को दी गई इन परमिशन से हैकर्स यूजर की सारी गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।
किसी भी ऐप को परमिशन देने का सीधा सा मतलब यह होता है कि वे यूजर के डेटा को न सिर्फ एक्सेस कर सकते हैं बल्कि अपनी जरूरतों के हिसाब से उन्हें अन्य जगाहों पर इस्तेमाल कर सकते हैं इसके अलावा बिना किसी के इजाजत के अपने सर्वर पर अपलोड भी कर सकते हैं। इसलिए शोधकर्ताओं ने यूजर्स को चेतावनी दी है कि किसी भी ऐप को परमिशन देने के पहले एक बार जरूर सोचें और खासतौर पर तब जब ऐप का निजी जानकारियों से कोई संबंध ही न हो।
कैसपर्सकी ने उदाहरण देते हुए समझाया कि गेमिंग ऐप को न तो आपके कॉन्टैक्ट और कैमरा एक्सेस की जरूरत होती है, न मैसेंजर ऐप को लोकेशन की जरूरत होती है। कैमरे के लिए आने वाले ट्रेंडी फिल्टर्स ऐप को यूजर की कॉल हिस्ट्री से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन फिर भी वे इन सब चीजों की परमिशन मांगती हैं।
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