नई दिल्ली. सड़कों पर जब पहली बार कार उतरी तो उसका मैकेनिज्म और डिजाइन ज्यादातर ड्राइवर के इर्द-गिर्द था। ड्राइवर के लिए सीट, एक स्टीयरिंग ह्वील, ड्राइवर कंट्रोल पावर और ब्रेक मैकेनिज्म। बदलती टेक्नोलॉजी के साथ ड्राइवर और उसके आप पास घूमता कार का मैकेनिज्म भी बदल रहा है। या यूं कहिए ऑटोनोमस व्हीकल टेक्नोलॉजी ने पूरी तरह से ड्राइवर की जरूरत ही खत्म कर दी है। अब नई जेनरेशन की कारें ड्राइवर-लेस व्हीकल ट्रांसपोर्टेशन के अनुसार डिजाइन होे रही हैं, जिनमें ड्राइवर डैश-बोर्ड ही नहीं होगा।
ड्राइवरलेस कारों के साथ सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा की हैं। कई जगह टेस्टिंग में ये ऑटोनोमस कारें सुरक्षा के पैमाने पर खरी नहीं उतरी हैं। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक नई टेक्नोलॉजी से यह सेफ्टी प्रॉब्लम भी खत्म होने वाला है। पैनासोनिक ऑटोमोटिव के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर एंड्रयू पोलाक कहते हैं कि अपडेट होती और नई सेल्फ ड्राइविंग टेक्नोलॉजी से ड्राइवर-लेस कारें ह्यूमन ड्राइवर वाली गाड़ियों से भी ज्यादा सुरक्षित होंगी। पोलाक कहते हैं कि नई जेनरेशन की ड्राइवर-लेस कारों का ऑटोनोमस व्हीकल केबिन मोबाइल लिविंग रूम जैसा है। गाड़ियों की विंडों, विंडशील्ड और रूफटॉप डिस्प्ले का काम करेंगे। इसमें 3डी होलोग्राम इफेक्ट के जरिए डायनामिक विजुअल कंटेंट दिखेंगे। अगर कहीं सड़क निर्माण का कार्य हो रहा है या घुमावदार रास्ता है तो उसका डिटेल 3डी में दिखेगा। जिस इलाके में आप सफर कर रहे हैं इसका स्थानीय इतिहास भी यह गाड़ियां बताएंगी।
सड़क पर साथ चल रहे है यात्रियों या गाड़ियों को सूचित करने के लिए इसमें खिड़कियों पर संकेतक देने का सिस्टम भी होगा। गाड़ियों का रूफटॉप और विंडो असली पत्थर और लकड़ियों का बनाया जा रहा हैं। टच लाइटिंग के साथ इसमें लाइट को अपने हिसाब से आप कम ज्यादा भी कर सकेंगे। बिना ड्राइवर डैश-बोर्ड वाली इन गाड़ियों में यात्री सुविधा अनुसार फीचर यूज करेगा।
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