Saturday 23 November 2019

स्क्रीन बदलने 30 हजार चार्ज करती है एपल, फिर भी दावा- रिपेयरिंग में फायदा नहीं नुकसान

क्यूपर्टिनो. स्मार्टफोन में खराबी आ जाए तो कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर पर इसे ठीक कराना आम तौर पर महंगा पड़ता है। कंपनी एपल हो तो खर्च और ज्यादा हो सकता है। इसके बावजूद एपल का कहना है कि डिवाइसों की रिपेयरिंग सर्विस से उसे फायदे के मुकाबले नुकसान ज्यादा उठाना पड़ता है।

एपल ने यह बयान अमेरिकी राजनेताओं द्वारा कंपनी के खिलाफ की जा रही गैर प्रतिस्पर्धी प्रैक्टिस की जांच के जवाब में दिया है। एपल ने कहा है कि साल 2009 से रिपेयरिंग सर्विस में उसे नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसा तब है जब गैर अधिकृत सर्विस सेंटर से एपल प्रोडक्ट्स की रिपेयरिंग कराना काफी सस्ता पड़ता है। अपने जवाब में एपल ने हालांकि यह भी कहा है कि वह अपने ग्राहकों को कंपनी के सर्विस सेंटर में रिपेयरिंग के लिए मजबूर नहीं करती है। अमेरिका की हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी ने सितंबर में एपल को कई सवालों की सूची भेजी थी। यह समिति डिजिटल मार्केट में प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन की जांच कर रही है। एपल पर आरोप लगे थे कि जैसे ही कोई यूजर थर्ड पार्टी रिपेयर करवाता है आईफोन के कुछ फीचर्स डिसेबल हो जाते हैं। यह भी आरोप लगे थे कि थर्ड पार्टी रिपेयर करवाने के बाद डिवाइस में खराबी आने पर एपल उसे ठीक करने के लिए तैयार नहीं होती है।

एपल ने हाल ही में आईफोन-11 सीरीज के स्मार्टफोन लॉन्च किए हैं। वारंटी से बाहर होने पर अगर आईफोन-11 मैक्स की स्क्रीन खराब हो जाए और ग्राहक ने एपल केयर प्लस प्रोटेक्शन प्लान न लिया हो तो कंपनी स्क्रीन बदलने के लिए करीब 30 हजार रुपए चार्ज करती है। इस डिवाइस में अन्य रिपेयरिंग के लिए कंपनी 55 हजार रुपए चार्ज करती है।

आईफोन-8 की स्क्रीन बदलने का शुल्क 14 हजार

वारंटी से बाहर के आईफोन-8 की स्क्रीन बदलने के लिए कंपनी करीब 14 हजार रुपए चार्ज करती है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक आईफोन-8 की स्क्रीन गैर अधिकृत सेंटरों पर 4600 से 8300 रुपए तक में बदली जा सकती है।



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Apple charges 30 thousand to change the screen, yet the company claims - no harm in repairing


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