Monday, 4 November 2019

इंटरनेट अपराध 5 साल में 457% बढ़े, लोग करवा रहे सायबर बीमा

गैजेट डेस्क. कुमुद दास. इंटरनेट के कारण पैसा और प्राइवेसी दोनों खतरे में हैं। हाल ही में आई दो खबरों ने ये चिंता और भी बढ़ा दी है। सिंगापुर की संस्था ग्रुप आईबी ने खुलासा किया है कि 12 लाख भारतीयों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड का डेटा चोरी हुआ है। वहीं वॉट्सऐप पर भी 1400 लोगों की जासूसी होने का मामला सामने आया है। ऐसे में भास्कर ने जाना कि ऐसे मामलों में कितनी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और इनसे कैसे बचा जा सकता है। एसोचैम-एनईसी के एक ताजा अध्ययन के मुताबिक पांच वर्षों (2011 से 2016) में सायबर अपराधों में 457 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसमें इंफरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत दर्ज मामले देखे गए हैं।

वहीं सायबर अपराधों में बैंकिंग संबंधित फ्रॉड की बात करें तो ये दो साल पहले तक तो दोगुने बढ़े थे, लेकिन बीते साल इसमें थोड़ी कमी आई है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में 1372 सायबर फ्रॉड के मामले सामने आए थे। ये कुल 42.3 करोड़ रुपए के थे जबकि वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 2059 मामले हो गए, जो 109.6 करोड़ रुपए के थे। वर्ष 2018-19 में इनमें कमी आई है। इस वर्ष सायबर फ्रॉड के 71.3 करोड़ रुपए के 1866 मामले सामने आए हैं, जो पिछले साल से करीब 9 फीसदी कम हैं। अलग-अलग तरह की सायबर चोरी बढ़ने के कारण अब इस क्षेत्र में बीमा करने का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है।

  1. डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में सायबर इंश्योरेंस में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस वर्ष 350 सायबर बीमा पॉलिसी बेची गई हैं। एचडीएफसी एर्गो के सीईओ रितेश कुमार बताते हैं कि यह शुरुआती दौर में है लेकिन आगे यह बेहतर करेगा। बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस के चीफ टेक्निकल ऑफिसर शशिकुमार अदिदामु बताते हैं कि अभी सायबर बीमा पॉलिसी का प्रीमियम 700 से 9000 रुपए सालाना तक आ रहा है।

    इसका कवेरज एक लाख से एक करोड़ तक का है। वहीं आईसीआईसीआई लोमबार्ड के अंडरराइटिंग एंड क्लेम्स के चीफ संजय दत्ता बताते हैं कि लोग अभी बीमा पॉलिसी ऑनलाइन खरीद रहे हैं। आने वाले समय में इसका बाजार और बढ़ेगा। वहीं एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर रिखिल शाह कहते हैं कि हमारे पास सायबर बीमा के लिए प्रतिमाह करीब 15 लोग पूछताछ के लिए आ रहे हैं।

    • कंप्यूटर को सायबर हमले से बचाने के लिए जिस कंप्यूटर से नेट बैंकिंग कर रहे हों उसमें ऑथेंटिक एंटी वायरस सॉफ्टवेयर पड़ा होना चाहिए।
    • ट्रांजैक्शन करते समय पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल न करें।
    • फोन का ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट करते रहें।
    • समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहें और पासवर्ड को कठिन बनाएं।
  2. कैसे डेटा लेता है- मैपिंग ऐप्लिकेशन्स, कैब बुकिंग ऐप, फूड ऐप आदि लगातार लोकेशन रिकॉर्ड करते हैं। ब्राउजर पर सर्च और शॉपिंग हिस्ट्री भी होती है। वाई-फाई से कनेक्ट है, तो सिग्नल स्ट्रेंथ, पास के ब्लूटूथ की जानकारियां, फोन बैटरी कितनी चार्ज है जैसी जानकारियां भी गूगल पढ़ लेता है।

    कैसे बचें- डेटा को गूगल से हटाने के लिए myactivity.google.com पर जाएं। यहां एक्टिविटी का डेटा हटा सकते हैं। आगे ऐसा न हो इसके लिए भी कमांड दे सकते हैं। ऐसे ही गूगल मैप्स में सेटिंग टैब में पर्सनल कंटेंट में जाकर लोकेशन हिस्ट्री को ऑफ कर सकते हैं और पुरानी जानकारियां डिलीट कर सकते हैं। गूगल के जरिए कई थर्ड पार्टी ऐप भी डेटा लेने की कोशिश करते हैं, जिसे हमने कभी न कभी जाने-अनजाने अधिकृत किया होता है। इसे डिलीट करने के लिए myaccount.google.com मे जाएं। सिक्योरिटी टैब पर क्लिक करें और थर्ड पार्टी एक्सेस पर क्लिक कर एक्सेस लिमिडेट करें।

  3. कैसे डेटा लेते हैं- आप जब भी ऑनलाइन कुछ सर्च करते हैं तो कई इंटरनेट कुकीज (इंटरनेट कुकीज हर वेबसाइट के पेज पर एक प्रोग्राम सेट होता है) सर्च को सेव कर लेती हैं। इसके अनुसार ही आपको सर्च से संबंधित विज्ञापन दिखाना शुरू कर देते हैं।


    कैसे बचें- जब हम कोई वेबसाइट खोलते हैं तब पॉपअप में कुकीज के लिए 'accept' ऑप्शन आता है। जरूरी न हो तो इसे ओके न करें। इसके साथ नेटवर्क एडवरटाइजिंग इनिशिएटिव (NAI) की वेबसाइट पर जाकर आप कूकिज को अपना डाटा सेव करने और देखने से रोक सकते हैं। इसके लिए आप optout.networkadvertising.org पर विजिट कर थर्ड पार्टी कूकिज की ट्रैकिंग से छुटकारा पा सकते है।
    कैसे डेटा लेते हैं- आप जब भी ऑनलाइन कुछ सर्च करते हैं तो कई इंटरनेट कुकीज (इंटरनेट कुकीज हर वेबसाइट के पेज पर एक प्रोग्राम सेट होता है) सर्च को सेव कर लेती हैं। इसके अनुसार ही आपको सर्च से संबंधित विज्ञापन दिखाना शुरू कर देते हैं।

  4. कैसे डेटा लेता है- सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट सबसे आसानी से डेटा जुटाती हैं। आप अपनी बेसिक जानकारी के अलावा, दोस्त, अपने विचार, बिज़नेस, जॉब, परिवार से संबंधित चीजें ऑनलाइन शेयर करते हैं।


    कैसे बचें- सोशल मीडिया पर अनावश्यक निजी जानकारियां ना डालें। फेसबुक की सिक्योरिटी सेटिंग में जाकर आपके पोस्ट को देखने वालों की सूची सीमित कर सकते हैं। अनजान व्यक्ति को फ्रेंड न बनाएं। सामान्य सिक्योरिटी सवालों के जवाबों में या किसी पोस्ट में कोई आईडी नंबर, बैंक डिटेल्स, एड्रेस आदि न डालेंं। किसी थर्ड पार्टी वेबसाइट पर फेसबुक आईडी से लॉगिन न करें। लॉगिन सिक्योरिटी के लिए टू फेक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करें। ऐसे ही थर्ड पार्टी ऐप आपका क्या डेटा देख सकते हैं या देख रहे हैं उसे फेसबुक की सेटिंग में जाकर देखें। शेयर करना जरूरी न लगे उसे हटा दें। अपनी लोकेशन शेयरिंग भी बंद कर सकते हैं।



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      Internet crime increases 457% in 5 years, people are getting cyber insurance


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