मीनाक्षी राठौड़. डिजिटल जमाने में जेबकतरे भी हाईटेक हो गए हैं। लुटेरे पहले बंदूक या चाकू के जोर पर लोगों को लूटते थे, लेकिन अब लूट का तरीका बदल गया है। आपकी थोड़ी चूक और बैंक अकाउंट खाली। राजस्थान के जयपुर में इस प्रकार की ठगी के 3 से 4 मामले हर दिन दर्ज हो रहे हैं।
वैशाली नगर की रिया शर्मा ने बताया कि इंस्टाग्राम पर ऑनलाइन चल रहे सर्वे की लिंक पर उन्होंने अपनी पर्सनल डिटेल डाल दी। फिर उनके वॉट्सऐप नंबर को चार ग्रुप में जोड़ दिया गया। इनमें कपड़े, जूते और ज्वैलरी से संबंधित पोस्ट डाले जाते थे। सस्ते दामों में मिल रहे प्रोडक्ट्स देखकर उन्होंने दो बैग ऑर्डर किए। ग्रुप एडमिन ने पेमेंट के लिए फोन-पे ऐप डाउनलोड करने को कहा। एडमिन ने एक लिंक भेजा। उसने लिंक पर क्लिक किया और अकाउंट से 46 हजार रुपए निकल गए।
मेरे डेटा से कोई क्या बिगाड़ लेगा, इस गलतफहमी में न रहें
जयपुर के साइबर एक्सपर्ट रजत तिवारी ने कहा- 'आप इस गलतफहमी में न रहें कि मेरे डेटा से कोई क्या बिगाड़ लेगा। मॉल, फेयर या पेट्रोल पंपों पर मिलने वाले किसी भी तरह के कूपनों पर अपनी पर्सनल डीटेल शेयर न करें। फालतू के ऐप डाउनलोड न करें। इनसे आपका पूरा डेटा सामने वाले के पास चला जाता है। इंस्टाग्राम, ईमेल या फेसबुक पर आने वाले किसी भी बेमतलब सर्वे के लिंक पर क्लिक न करें। साइबर क्राइम कब हुआ, उसकी तारीख और समय नोट कर लें। सबूत इकट्ठे करें, जिनका इस्तेमाल कार्रवाई में होगा।
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