गैजेटे डेस्क. इंस्टेंट मैसेंजिंग ऐप वॉट्सऐप इन दिनों किसी नए फीचर्स को लेकर नहीं बल्कि पेगासस वायरसको लेकर सुर्खियों में है। इस खतरनाक वायरस का इस्तेमाल दुनियाभर के कई हाई प्रोफाइल लोगों की जासूसी करने के लिए किया गया। बात मई 2019 की है जब भारत समेत दुनियाभर के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के वॉट्सऐप चैट की जासूसी की गई। इस बात की पुष्टि स्वंय वॉट्सऐप ने अपने ब्लॉग पोस्ट में की। कंपनी का कहना है कि वॉट्सऐप के वॉयस/वीडियो कॉलिंग के फीचर के जरिए पेगासस वायरस को लोगों के फोन में भेजा गया। तो आइए जानते हैं कितना खतरनाक है यह वायरस और इससे कैसे बचा जा सकता है।
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वॉट्सऐप में इजरायल की एनएसओ (NSO) ग्रुप के खिलाफ फेडरल कोर्ट, सैन फ्रांसिस्को में मुकदमा दायर किया है। कंपनी ने आरोप लगाया कि कि एनएसओ ग्रुप ने लोगों के वॉट्सऐप चैट की जासूसी करने के लिए पेगासस नाम का सॉफ्टवेयर भारत समेत दुनियाभर के करीब 1,400 पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के फोन में भेजे, जिनके जरिए उनकी जासूसी की गई। यह जासूसी अप्रैल-मई 2019 के बीच हुई है जिसमें दुनियाभर के 20 देशों के लोगों को शिकार बनाया गया।
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एनएसओ ग्रुप या क्यू साइबर टेक्नोलॉजी ने पेगासस स्पाइवेयर (जासूसी करने वाले सॉफ्टवेयर) को बनाया। पेगासस का दूसरा नाम क्यू सुइट भी है। पेगासस दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर्स में से एक है जो एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस की जासूसी करने में सक्षम है। पेगासस, यूजर की इजाजत और जानकारी के बिना भी उसके स्मार्टफोन में इंस्टॉल हो सकता है। एक बार फोन में इंस्टॉल हो जाने के बाद इसे हटाया नामुमकिन है।
पेगासस सॉफ्टवेयर यूजर की निजी जानकारियों पर पैनी नजर रखता है। पेगासस पासवर्ड, कॉन्टेक्ट, कैलेंडर, मैसेज, माइक्रोफोन, कैमरा समेत अन्य मैसेजिंग ऐप्स के कॉलिंग फीचर पर हर समय नजर रखता है। इतना ही नहीं, पेगासस यूजर की जीपीएस लोकेशन भी हर समय ट्रैक करता रहता है।
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पेगासस सॉफ्टवेयर के मदद से कई तरीकों से फोन को हैक किया जा सकता है। हैकर्स लिंक की मदद लेते हैं तो कई बार ऐप को यूजर के फोन में इंस्टॉल करवाया जाता है। वॉट्सऐप चैट की जासूसी करने के लिए हैकर्स ने इसके कॉलिंग फीचर की मदद ली। इस सॉफ्टवेयर को फोन में इंस्टॉल करने के लिए वॉट्सऐप के वीडियो और ऑडियो कॉलिंग फीचर का इस्तेमाल हुआ है।
खास बात यह है कि फोन रिसीव नहीं करने के बावजूद भी यह खतरनाक सॉफ्टवेयर यूजर के फोन में इंस्टॉल हो जाता है। या यू कहें कि पेगासस के जरिए यूजर की जासूसी करने के लिए उनके वॉट्सऐप नंबर पर वीडियो/ऑडियो कॉल किया गया। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वॉट्सऐप ऐप पर सिर्फ मिस्ड कॉल देकर इस सॉफ्टवेयर को लोगों के स्मार्टफोन में इंस्टॉल कराया गया।
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हैकिंग के शिकार एंड्रॉयड के वर्जन 2.19.134 से पहले, एंड्रॉयड के बिजनेस ऐप के 2.19.44 वर्जन से पहले, आईओएस के 2.19.51 वर्जन से पहले, आईओएस के बिजनेस ऐप के 2.19.51 वर्जन से पहले और विंडोज फोन के 2.18.348 वर्जन से पहले के सभी वर्जन इसके शिकार हो सकते हैं।
हालांकि इनके बाद वाले वर्जन में इस बग को सही कर दिया गया है। वॉट्सऐप ने इस अटैक के बारे में अपने सभी 1,400 यूजर्स को मैसेज भेजकर इसकी जानकारी दी है। इससे बचने का सिर्फ एक ही तरीका है और वो यह कि अपने वॉट्सऐप ऐप को अपडेट करें, क्योंकि नए अपडेट में पेगासस वायरस सेंध नहीं लगा सकता।
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