गैजेट डेस्क. चैरिटी या दान की रकम की पारदर्शिता हमेशा बड़ा मुद्दा रहा है। ऑनलाइन चैरिटी में भी यह पता लगाना मुश्किल होता है कि आपके डोनेशन की रकम सही जगह पहुंची या नहीं। लिहाजा, अब कंपनियां पारदर्शिता के लिए ब्लॉक-चेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू कर रही हैं। इस तकनीक से दानदाता से लेकर दान की रकम खर्च करने तक हर ट्रांजेक्शन की जानकारी सुरक्षित रूप से मिल सकेगी। यही तकनीक ऑनलाइन मुद्रा बिटकॉइन में भी इस्तेमाल की जाती है।
ब्रिटेन की एथेरियम (डिजिटल करेंसी) देने वाली कंपनी एलिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राफेल मजेट ने बताया कि ब्लॉक-चेन से दानदाताओं को पारदर्शिता प्रदान करना है। जबकि, अभी तक दान की रकम में गड़बड़ी से काफी आलोचना होती थीं। ब्लॉक-चेन आपको स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का निर्माण करके अपने दान के सामाजिक या पर्यावरणीय प्रभाव को मापने और नियंत्रित करने की अनुमति देता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऑनलाइन एप से खरीदारी, ऑर्डर और अन्य सेवाओं के शुरू होने के चलते चैरिटी का चलन बढ़ा है। दुनिया में कुल चैरिटी में से 10% रकम ऑनलाइन आ रही है। कंपनियां ग्राहकों के साथ इमोशनली जुड़ना चाहती हैं। इसलिए कंपनियां सेवा के साथ चैरिटी का भी ऑप्शन देती हैं। जैसे कोई उबर से कार बुक करता है तो वह इसका 2 प्रतिशत रकम चैरिटी के लिए दे सकता है। ऐसी ही एक कार्यकर्ता विक्टोरिया एल्डरमैन बताती हैं कि वह एक धर्मार्थ एप के माध्यम से भूख और कुपोषण से लड़ने के लिए अपने कुल बिल का 10% दान करती हैं। अमेरिका स्थित मोमैंटम भी ऐसी कंपनियों में से एक है जो लोगों के दान करने के तरीके को बदलना चाहती है। मोमैंटम के मुख्य कार्यकारी निक फिट्ज़, सह-संस्थापक अरी कगन और साथी इवान दिमित्रोव इसी पर शोध कर रहे हैं।
ऑनलाइन का उपयोग करने पर ज्यादा दान
सीएएफ चैरिटी लैंडस्केप 2019 के अनुसार 87% चैरिटी मुख्य कार्यकारियों की प्राथमिकता प्रौद्योगिकी में निवेश हैं। सीएएफ के रोडरी डेविस कहते हैं कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले को लोग ज्यादा समर्थन दे रहे हैं। क्राउड फंडिंग अधिक आशाजनक क्षेत्रों में से एक है। महज दो वर्षों में बीम के संस्थापक एलेक्स स्टेफनी ने क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म और सोशल नेटवर्क के जरिए 150 बेघर के लिए दानदाताओं से 4.46 करोड़ रुपए जुटाए हैं।
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