गैजेट डेस्क. पिछले 1 दिसंबर से मोबाइल कंपनियों ने अपने सारे मोबाइल रिचार्ज पर 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। लेकिन इससे नेटवर्क में गड़बड़ी ठीक होने के बजाय बढ़ गई है। आए दिन लोगों को कॉल ड्रॉप की समस्या से जूझना पड़ रहा है। इस मामले में लोगों ने कंपनी में शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन उनके प्रतिनिधि कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इसका कारण बाजार में मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा माना जा रहा है।
भोपाल शहर में चार बड़ी कंपनियों के 10 लाख से ज्यादा ग्राहक कॉल ड्रॉप की समस्या से परेशान हैं। शहर में टावर लगाने का काम स्मार्ट सिटी कंपनी कर रही है। लेकिन यहां भी राजनीति हावी है। इस कंपनी ने अपनी शर्तों पर एक कंपनी विशेष के टावर ज्यादा जगह लगाए हैं। वहीं अन्य कंपनियां अपने टावर लगाने के लिए अभी भी संघर्ष कर रही हैं। इन कंपनियों ने नगर निगम कमिश्नर को अपनी शिकायत भी दर्ज करा दी है। इनका कहना है कि स्मार्ट सिटी के तहत काम करने वाली कंपनी उनके टावर को सही जगह नहीं लगा रही है। इस कारण उपभोक्ताओं तक नेटवर्क नहीं पहुंच पा रहा है और शिकायतों की संख्या बढ़ रही है। यह शिकायत 8 महीने पहले की गई है। जगह को लेकर मोबाइल नेटवर्क और मोबाइल टावर लगाने वाली कंपनियों के बीच शीत युद्ध जारी है, जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
केस-1:एमपी नगर निवासी अतुल गर्ग ने बेंगलुरु में 13 दिसंबर को किसी काम से अपने भाई अजय को कॉल किया। कॉल बंगाल में किसी दूसरे व्यक्ति के पास अटेंड हुआ। सामने वाले व्यक्ति ने बंगाली भाषा में बात की तब अतुल को समझ आया कि कॉल दूसरी जगह लग गया है। काफी प्रयास के बाद मुश्किल से अतुल की अपने भाई से बात हो पाई।
केस-2:पुराने शहर निवासी सलीम खान पिछले 5 महीनों से कॉल ड्रॉप की समस्या से परेशान हैं। उनके पास दो मोबाइल कंपनियों की सिम हैं, लेकिन दोनों के नेटवर्क गड़बड़ रहते हैं। कभी दूसरी जगह कॉल लगता है तो कभी बार-बार कॉल डिस्कनेक्ट होता है। व्यापार के सिलसिले में उन्हें दिल्ली में कई बार बात करनी पड़ती है। लेकिन खराब नेटवर्क के कारण बात करने में बड़ी दिक्कत आ रही है।
समस्या दर्ज कराई थी
कुछ माह पूर्व मोबाइल कंपनियों ने निगम सीमा में टावर को लेकर अपनी समस्याएं दर्ज कराई थीं। इस मामले में हमने स्मार्ट सिटी को स्पष्ट तौर से बता दिया था कि सभी कंपनियों को बराबर जगह दी जाए। इसके बाद मामले में क्या हुआ? यह मैं अधिकारियों से पता करके ही बता पाऊंगा। बी. विजय दत्ता, कमिश्नर, भोपाल नगर निगम
जल्द बड़ा फैसला आएगा
कॉल ड्रॉप की समस्या तब आती है, जब किसी कंपनी के ग्राहक ज्यादा हों और टावर्स की संख्या कम हो। शहर में मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के बीच खींचतान जारी है। बीते 4 महीने में उपभोक्ता फोरम में इस तरह के 342 मामले दर्ज हुए हैं। कंपनियां सर्च के नाम पर उपभोक्ताओं से पैसा तो तीन गुना अधिक ले रही हैं, लेकिन सर्विस नहीं दे रहीं। इस मामले में जल्दी बड़ा फैसला आएगा। राजीव सक्सेना, एडवोकेट, भोपाल
कंपनी बदलने पर भी ग्राहकों को राहत नहीं
- शहर में चार बड़ी कंपनियों के दो लाख से ज्यादा उपभोक्ता ऐसे हैं, जो इस समस्या से निजात पाने के लिए अपनी कंपनी बदल चुके हैं। लेकिन फिर भी भोपाल के ज्यादातर इलाकों में उन्हें कॉल ड्रॉप की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत कोलार रोड, पुराने शहर, गोपालपुरा और अयोध्या बायपास के 50 से अधिक इलाकों में आ रही है। लोगों का कहना है कि कंपनियों ने अपने रिचार्ज प्लान में तो बड़ी बढ़ोतरी कर दी, लेकिन सुविधाओं में बढ़ोतरी न करने से कंपनियों की साख घट रही है।
- इस संघर्ष में ग्राहकों की भी फजीहत हो रही है। वे जरूरत पड़ने पर जब भी अपने किसी परिचित को फोन लगाते हैं, तो वह कॉल दूसरे किसी प्रांत में लग जाता है। कई बार तो बार-बार लगाने के बाद कॉल नहीं लगता है। कई बार बात करते-करते फोन कट जाता है। कई बार आवाज नहीं आती है तो कभी कॉल अपने आप रिजेक्ट हो जाता है। ये समस्याएं उपभोक्ताओं को आ रही है लेकिन मोबाइल कंपनियों के पास इनका कोई समाधान नहीं है।
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